Book Title: Digambar Jain 1915 Varsh 08 Ank 01
Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 7
________________ बूढ़ोंको सतानेवाला, बच्चोंको हँसानेवालाजवानोंकों, उद्वीन्न | करनेवाला बूढेका ब्याह। लोट-पोट करदेनेकाले सुन्दर पांच चित्रोंसे । सुसजित, बढ़िया कागज, सुन्दर छपाई, ___मनोहर मूख पृष्ठ । हिन्दीमें बिलकुल नई चीज़ । छपकर तैयार है। पाठक महाशय, यह हिन्दीके एक नामी कविका बनाया हुआ सुन्दर काव्य है। इसमें एक बालिकाके साथ एक साठ वर्षके बूढ़ेके ब्याहका चित्र खींचा गया है। कविता इतनी सरल है कि हरकोई मज़ेमें समझ सकता है । इसे पढ़कर जा हँसेगे, खीझेंगे और एक बालिकाकी दुर्दशा पर आँसू बहावेंगे । हिन्दीमें अप.. .. ढंगकी यह एक ही पुस्तक है। वृद्धविवाहके रोकनेमें यह पुस्तक का काम करेगी । शीघ्र मँगाईए । मूल्य छह आना । एक साथ पाँच प्रतियाँ मँगाने । पाँचके मूल्यमें छह भेजी जाती हैं। - नोट-जैन धर्मकी सब प्रकारकी पुस्तकें हमारे यहाँसे बाजिब मूल्य भेजी जाती हैं । एक कार्ड लिखकर सूचीपत्र मँगा लीजिए। ____ मैनेजर-जैनग्रन्थरत्नाकरकार्यालय, हीराबाग, पो० गिरगाँव, बम्बई ।

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