Book Title: Dharmshastra ka Itihas Part 1
Author(s): Pandurang V Kane
Publisher: Hindi Bhavan Lakhnou

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Page 16
________________ - १५ - ३००-६०० (१० उ०) ४००-६०० (६० उ०) ५००-५५० (६० उ०) ६००-६५० (६० उ०) ६५०-६६५ (६० उ०) ६५०-७०० (ई० उ०) ६००-९०० (ई० उ०) ७८८-८२० (६० उ०) ८००-८५० (ई० उ०) ८२५-९०० (ई० उ०) ९६६ (ई० उ०) १०००-१०५० (ई० उ०) १०८०-११०० (६० उ०) १०८०-१११० (६० उ०) ११००-११३० (१० उ०) ११००-११५० (६० उ०) ११००-११५० (६० उ.) १११०-११३० (६० उ०) १११४-१९८३ (१० उ०) : कुछ विधमान पुराण, यथा-वायु०, विष्णु०, मार्कण्डेय०, मत्स्य, कूर्मः। : कात्यायनस्मृति (अभी तक प्राप्त नहीं हो सकी है)। : वराहमिहिर; पंच-सिद्धान्तिका, बृहत्संहिता, बृहज्जातक आदि के लेखक। : कादम्बरी एवं हर्षचरित के लेखक बाण। : पाणिनि की अष्टाध्यायी पर कााशका-व्याख्याकार वामन जयादित्य । : कुमारिल का तन्त्रवातिक। : अधिकांश स्मृतियां, यथा-पराशर, शंख, देवल तथा कुछ पुराण, यथा अग्नि०, मकड़। : महान् अद्वैतवादी दार्शनिक शंकराचार्य। : याज्ञवल्क्यस्मृति के टीकाकार विश्वरूप। : मनुस्मृति के टीकाकार मेधातिथि। : वराहमिहिर के बृहज्जातक की टीका करनेवाले पल। : बहुत-से ग्रन्थों के लेखक पारेश्वर भोज। : याज्ञवल्क्यस्मृति की टीका मिताक्षरा के लेखक विज्ञानेश्वर। : मनुस्मृति के व्याख्याकार गोविन्दराज।। : कल्पतरु या कृत्यकल्पतरु नामक विशाल धर्मशास्त्र-विषयक निबन्ध के लेखक लक्ष्मीपर। : दायमाग, कालविवेक एवं व्यवहारमातृका के लेखक जीमूतवाहन। : प्रायश्चित्तप्रकरण एवं अन्य ग्रन्थों के रचयिता भवदेव भट्ट। : अपरार्क, शिलाहार राजा ने याज्ञवल्क्यस्मृति पर एक टीका लिखी. : भास्कराचार्य , जो सिद्धान्तशिरोमणि के, जिसका लीलावती एक बंश है, प्रणेता हैं। : सोमेश्वर देव का मानसोल्लास या अभिलषितार्थ-चिन्तामणि। : कल्हण की राजतरंगिणी। : हारलता एवं पितृदयिता के प्रणेता अनिरुद्ध भट्ट। : श्रीधर का स्मृत्यर्थसार। : गौतम एवं आपस्तम्ब नामक धर्मसूत्रों तथा कुछ गृह्यसूत्रो के टीकाकार हरदत्त। : देवण्ण भट्ट की स्मृतिचन्द्रिका। : मनुस्मृति के व्याख्याकार कुल्लूक। : धनञ्जय के पुत्र एवं ब्राह्मणसर्वस्व के प्रणेता हलायुध । : हेमाद्रि की चतुर्वर्गचिन्तामणि। . .:. वरदराज का व्यवहारनिर्णय। : पितृमक्ति, समयप्रदीप एवं अन्य ग्रन्थों के प्रणेता श्रीदत्त। : गृहस्थरत्नाकर, विवादरत्नाकर, क्रियारत्नाकर आदि पन्नों के रचयिता पहेश्वर। ११२७–११३८ (ई० उ०) ११५०-११६० (ई० उ०) ११५०-११८० (६० उ०) ११५०-१२०० (६० उ०) ११५०-१३०० (६० उ०) १२००-१२२५ (ई० उ०) ११५०-१३०० (ई० उ०) ११७५ -१२०० (ई० उ०) १२६०-१२७० (ई० उ०) १२००-१३०० (ई० उ०) १२७५-१३१० (ई० ३०) १३००-१३७० (६० उ०) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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