Book Title: Dhamvilas Author(s): Dyantrai Kavi Publisher: Jain Granthratna Karyalay View full book textPage 9
________________ र दि. . मुनिवर्गमा पथ pe) भांडार अामा, न. श्रीवीतरागाय नमः / स्व० कविवर द्यानतरायजी विरचित / धर्मविलास / ... (द्यानतविलास।) मंगलाचरण / छप्पय। बन्दौं आदि जिनेस, पापतमहरन दिनेस्वर / बन्दत हौं प्रभु चंद, चंद दुख तपन हनेस्वर // सांतिनाथ बंदामि, मेघसम सान्तिप्रकासक / नमौं नौं महावीर, वीर भौ-पीर-विनासक // चौवीसौं जिनराजका, धर्म जगतमै विस्तरौ। सुभ ज्ञान भगति वैरागमय, धर्म विलास प्रगट करौ // 1 // उपदेशशतक / तीर्थंकरस्तुति, छप्पय / / गुण अनंतकरि सहित, रहित दस आठ दोषकर।' विमल जोति परगास, भास निज आन विषैहर // सकल सुरासुरवृंदवंद्य, नर इंद्र चंद्र गन। राग द्वेष मद मोह क्रोध, छल लोभ सकल हन // 1 माया। . Scanned with CamScannerPage Navigation
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