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स्थितप्रज्ञ,
सत्पुरुष है
कैलाश पर्वत है, वहां चक्रवर्ती को अधिकार है दस्तखत करने का उस पर्वत पर । उस पर्वत पर जो भी दस्तखत किया जाता है, वह अरबों-खरबों वर्षों तक टिकता है। वह कोई ऐसा पर्वत नहीं है कि यहां जैसा पर्वत हो, दस्तखत किया और कुछ सैकड़ों वर्षों में खो जाएगा; टिकता है अरबों-खरबों वर्षों तक।
तो एक व्यक्ति चक्रवर्ती सम्राट हो गया, वह बड़ा प्रसन्न था, आकांक्षा पूरी हुई और उस पर्वत पर दस्तखत करने जा रहा है। तो उसने सोचा था कि बड़े-बड़े अक्षर में दस्तखत कर आऊंगा। लेकिन जब वह पर्वत के पास पहुंचा तो उसकी आंख आंसुओं से भर गई । पर्वत पर जगह ही न थी, इतने लोग पहले दस्तखत कर चुके थे। बड़े की तो बात और, एक कोना खाली न था, इतने चक्रवर्ती हो चुके थे समय की अनंत धारा में। कोई हिसाब है ! सोचा था, उस विराट पर्वत पर बड़े-बड़े अक्षर में दस्तखत कर आएंगे ।
फिर मजबूरी में कोई जगह न पाकर पुराने दस्तखतों को मिटाकर अपने दस्तखत किए। लेकिन तब उसका मन दीन- जीर्ण हो गया कि अगर यह हालत है, तो कोई हमारा भी मिटाकर दस्तखत कर जाएगा। यह कितनी देर टिका !
जब वह भीतर जा रहा था तो वह अपनी पत्नी को भी साथ ले जाना चाहता था । लेकिन द्वारपाल ने कहा, भलेमानस! इसकी आज्ञा नहीं है; अकेले ही भीतर जाना पड़ता है। पर मजा ही क्या अगर पत्नी न देख पाए पति का गौरव कि वह दस्तखत कर रहा है !
उसने बड़ी जिद की थी, लेकिन द्वारपाल ने कहा था, मानं तू ! लौटकर तू प्रसन्न होगा कि पत्नी को नहीं ले गया तो अच्छा हुआ । और ऐसा कुछ तेरे साथ ही हुआ है, ऐसा नहीं है; मेरे पिता भी यही काम करते थे द्वारपाल का । वह भी कहते थे, जब भी कोई आता है, वह पत्नी को साथ ले जाना चाहता है । उनके पिता ने भी उनसे यही कहा था। यह सदा से होता रहा है। और यह भी मुझे पता है कि लौटकर तू धन्यवाद देगा - ऐसा सदा से होता रहा है— कि अच्छा हुआ, पत्नी को साथ न ले गया। मिट्टी पलीत हो जाती है।
लौटकर उसने धन्यवाद दिया कि बड़ी कृपा है कि यहां पहरा बिठाया है। अब लौटकर अपनी शान तो कह सकूंगा । अगर पत्नी भी देख लेती कि यहां तो कोई जगह ही खाली नहीं है, यह कोई बड़ा गौरव नहीं है।
चक्रवर्ती भी हो जाओ, क्या मिलने वाला है? कितने लोग हो चुके हैं! और स्वर्ग के पर्वतों पर भी दस्तखत करने का मौका मिल जाए, वे भी रेत पर ही किए गए दस्तखत हैं। सब हस्ताक्षर रेत पर हैं ।
सिर्फ एक तुम हो, जो समय के पार हो । सिर्फ एक तुम्हारा होना है, जो समय की धार में नहीं है । अगर उसे पा लिया तो कुछ पाया; अगर उसे गंवाया तो सब गंवाया।
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