Book Title: Dhammapada 04
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 274
________________ चरैवेति चरैवेति इसलिए बुद्ध ने कहा, कुछ भी नहीं हो तुम, शून्य हो । शून्य के पीछे न छिप पाएगा। इसलिए बुद्ध ने ब्रह्म शब्द का उपयोग न किया, शून्य का उपयोग किया। बुद्ध ने शून्य का उपयोग किया इसलिए नहीं कि ब्रह्म शब्द से कुछ एतराज था, तुम्हारी चालाकियों से; तुम्हारी चालाकियों का होश था। ब्रह्म के पीछे तुम बड़े मजे से छिप जाओगे। कंबल बन जाएगा ब्रह्म और तुम उसके अंदर छिपकर विश्राम करने लगोगे । शून्य का तुम कंबल न बना पाओगे । बुद्ध का शब्द - शब्द उपयोगी है। बड़े सोचकर, बड़े ध्यान से उन्होंने एक-एक शब्द का उपयोग किया है। मोक्ष शब्द का उपयोग नहीं किया, क्योंकि मोक्ष में तो मैं बना रहेगा, मैं मुक्त हो जाऊंगा। उन्होंने कहा, निर्वाण । तुम तो रहोगे ही नहीं । तीसरा प्रश्न : वर्षों पहले जब पहली बार मैंने आपको देखा, तब मेरी आंखें चौंधिया गयीं; और उसी दिन से एक ज्योति हर क्षण मेरी दृष्टि के मध्य प्रज्वलित रहती आई है। यह रहस्यमयी ज्योति क्या है ? क्या यह मेरी दृष्टि की कोई खराबी तो नहीं है ? म न चाहेगा समझाना कि खराबी है । मन कहेगा, किस झंझट में पड़े हो ? दिमाग खराब हो रहा है? ऐसे कहीं ज्योतियां दिखाई पड़ी हैं ! मन तरकीबें खोजेगा, ताकि तुम मन के पार न जा पाओ । अगर तुमने भर नजर मुझे देखा है तो ऐसा होगा ही कि आंखें चौंधिया जाएंगी। अगर नहीं चौंधियाई हैं तो उसका केवल इतना ही अर्थ है कि तुमने मुझे देखा ही नहीं, तुम इधर-उधर देखते रहे हो। तुमने सीधी आंख से आंख नहीं मिलाई । तुम बच-बचकर चलते रहे हो। तुमने होशियारी बरती है। तुमने पागलों की तरह मुझसे मुठभेड़ नहीं कर ली । तुम शिष्टाचारपूर्वक किनारे से निकल गए हो । ऐसा होगा ही । और अक्सर ऐसा होता है कि पहली बार होगा, क्योंकि पहली बार तुम सावधान नहीं होते। जब पहली दफा कोई मेरे पास आता है तो सावधान नहीं होता; उसे पता ही नहीं किसके पास जा रहे हैं। सीधा चला आता है, झंझट में पड़ जाता है, उलझ जाता है। दूसरी दफा तो तुम कुशल हो जाते हो । तीसरी दफा तो तुम बड़े कुशल हो जाते हो। फिर तो कुशलता की पर्तें तुम्हें घेर लेती हैं। पहला मिलन बहुत महत्वपूर्ण है। ठीक हुआ। आंखें चौंधिया ही जाएंगी। आंखों की सामर्थ्य क्या ! आंखों की बड़ी सीमा है। आंखों के पास अगर कभी भी अदृश्य का कोई भी जलवा आ जाए, 261

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