Book Title: Dhammapada 04
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 288
________________ शब्द : शून्य के पंछी सहस्समपि चे वाचा अनत्थपदसंहिता। एकं अत्थपदं सेट्यो यं सुत्वा उपसम्मति।।९१।। यो सहस्सं सहस्सेन संगामे मानुसे जिने। एकं च जेयमत्तानं स वे संगामजुत्तमो।।९२।। अत्ता हवे जितं सेट्यो या चायं इतरा पजा। अत्तदन्तस्य पोसस्स निच्चं सञ्जतचारिनो।।९३।। नेव देवो न गन्धब्बो न मारो सह ब्रह्मना। जितं अपजितं कयिरा तथारूपस्स जन्तुना ।।९४।। मासे मासे सहस्सेन यो यजेथ सतं समं। एकं च भवितत्तानं मुहूत्तमपि पूजये। सा येव पूजना सेय्या यं चे पस्ससतं हुतं ।।९५।। 275

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