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[ लाट नवसारिका खण्ड
लिपी है । अतः इसके लेखक को उक्त लिपी का ज्ञान था और वह संभवतः गुर्जर था । गुर्जर लिपी का नागवर्धन के प्रदेश मे प्रचार नही था । इस हेतु लेखक उसके यहां नवागन्तुका था । उसे चौलुक्यों के इतिहास और वंशावली आदि का ज्ञान नही था । उसकीही अज्ञानता वसात वंशावली मे दोष आगया है ।
वंशावली गत दोष को लेखक के मत्थे डालने पर भी हमारा त्राण नहीं क्योंकि गुर्जर प्रदेश मे रहने वाले के चौलुक्यों के इतिहास से अनभिज्ञ होने की संभावना को मानने की प्रवृती नही होती । कारण कि गुर्जर प्रान्त चौलुक्यों के प्रभाव से दूर नही था । दान दाता के पिताका राज्य लाट प्रदेश मे था। जहांपर दान दाताके भाई और भतीजे लेख लिखे जाते समय शासन करते थे । इतनाही नही उनका अधिकार लाट मे लगभग ३४-३५ वर्ष पश्चात पर्यन्त स्थित होनेके प्रत्यक्ष चिन्ह पाये जाते हैं। इनका सबन्ध भी वातापिके साथ बना हुआ था । क्यों मंगलराज के भाई और उत्तराधिकारी पुलकेशी को दक्षिणापथ मे प्रवेश करने वाले अरबों के साथ युद्ध कर पाते हैं। ऐसी दशा मे हम लेखक को चालुक्य इतिहास से अनभिज्ञ कदापि नहीं मान सकते।
अब विचरना है कि आलोच्य लेख की लिपी से परचित पर चौलुक्यों के इतिहास से अनभिज्ञ यदि गुर्जर नहीं था तो कौन था । हमारी समझमें प्रस्तुत लेखकी लिपीको गुर्जर लिपी न मान कैथी लिपी माननाहीं युक्ती संगत प्रतीत होता है। कैथी लिपी प्रदेश निवासी का चौलुक्यों के इतिहास से अनभिज्ञ होना असंभव नहीं । क्योंकि उक्त प्रदेश में चौलुक्यों का प्रभाव नहीं था । अब देखना है कि वह कौनसाप्रदेश है जहांपर गुर्जर लिपी से मिलती जुलती कैथी नामक लिपी का प्रचार था । आलोच्य कैथी लिपीका प्रचार चौलुक्योंके प्रभाव से ि दूर मगध प्रदेशमें था और आज भी है। कैथी लिपी और गुर्जर लिपी के मध्य पूर्णरुपेण साम्यता है । दोनो के दो तीन अक्षरों को छोड कर सब अक्षर एक है। अतः हम आलोच्य लेख के लेखक को गुर्जर न मान मागधी घोषित करते है ।
आलोच्य लेख की लिपी को मागधी "कैथी" लिपी घोषित करते हीं प्रश्न उपस्थित होता है | गुजराती और कैथी लिपीयोंका अति दूरस्थ दो भिन्न प्रान्तो मे क्योकर प्रचार हुआ ? गुर्जर लिपी कैथी लिपी की जननी या कैथी लिपी गुर्जर लिपी की जननी है ? गुर्जरों की प्रवृती अपनी लिपी को कैथी की जननी वतानेकी अधिक होगी और हम उन्हे उनकी इस प्रवृती के लिये दोष नही दे सकते क्योकि यह मानव स्वभाव है। उधर कैथी लिपी वालों कीं प्रवृती अपनी लिपी को गुर्जर लिपी की जननी बताने की होगी । परंतु इस का निर्णय करने के पूर्व हमे विचारना होगा । " किसी देश अथवा जाति की लिपी अथवा संस्कृती का प्रभाव अन्य देश और जाति पर तब तक नही पडता जब तक : प्रभावान्वित देश अथवा जाति प्रभाव डालने वाले देश या जाति के राज नैतिक प्रभाव मे 1. कुछ समय के लिये नहो । कथित तुछ समय शताब्दियों का होना आवश्यक है" । क्या
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