Book Title: Chaulukya Chandrika
Author(s): Vidyanandswami Shreevastavya
Publisher: Vidyanandswami Shreevastavya

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Page 270
________________ चौलुक्य चन्द्रिका वासंतपुर की राज प्रशस्ति प्रासीत् दण्डका रण्ये सुरम्या नगरी पुरा ॥ . - वेष्टिता दुर्ग चक्रेण देवद्वार समाकुला ॥१।... मंगलादी पुरी चान्ते विश्रुत.या भुषि नाम्ना ॥ . शक्रपुरी समालोके विभाति दक्षिणा पथे ॥२॥ श्री जयसिंह देवस्य धात्मजो विजयामिधः॥ चौलुक्य वंय तिलको वभूष भूभुवश्चावी ॥३॥ . योधिष्ठितस्सु नगरं स्वप्रान्ते विजयापुरं॥ . ततो वभूषो तद्वंशो धवलदेवो भूपतिः ॥४॥ जाता स्तस्मा ल्लीलादेव्यां सुनुवः पाण्डवाः समाः।। ज्येष्ठो वासन्त देवश्च कृष्णदेवी तथा पररा ॥॥ . तृतीयरतु महादेव चतुर्थ श्चाधिक स्मृतः ॥ भामस्तत्र कानिष्ठोऽभूहि तृपदे परायणः॥३॥ धवलस्य पंचत्वेतु वासन्तो राजा बभूव ॥ जातो तस्मा द्वाग्देव्यां तनुजौ राम लक्ष्मणौ ॥७॥ .. निर्मिता रामदेवे। पुरीबैका मनोहरा ॥ ___ वासन्तपुर नाम्नासा रूयाता जगती नले ॥८॥ तद्भात पुत्रोऽसौ वीरः वीर नां मुकुट माणः ॥ पराभूयं श्चारी सर्वा न्वासन्ते विर राज सः॥९॥ तद्राशी विमलादेवी प्रसूता यमलो सुती । मूलवेवस्तु कृष्णाख्यौ योपि भूरि विक्रमी १० । वसि संगते कृष्णा राज लिप्सा भिकांच्या धार्तराष्ट्रा समान्धस्तु दुरात्मा ज्ञान वर्जितः ११, प्रौदण्ड्य उचापलत्वेन बन्धु घातेन कण्टको पिनव बेवक श्लोके संघभूष स एकता १२ .. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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