Book Title: Chaulukya Chandrika
Author(s): Vidyanandswami Shreevastavya
Publisher: Vidyanandswami Shreevastavya

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Page 165
________________ [लाट नन्दिपुर खण्ड में समुद्र स्नान करके करित एरथाण ग्राम दान दिया था । प्रदत्त ग्राम एरथान के अष्ट सीमावर्ती ग्रामोंका नाम नागम्बा, तन्तिका, बटपद्रक, लिङ्गवट शिव, इन्द्रोत्थान बहुणादश्वा, टेम्बरुक, तलपद्रक और करुण ग्राम है। प्रदत्त ग्रामके विषय का नाम धीलिश्वर है अब विचारना है अगस्त तीर्थ और धीलिश्वर विषयका प्रदत्त ग्राम एरथाण तथा उसके सीमावर्ती कथित आठ ग्रामों का संप्रति अस्तित्व पाया जाता है या नहीं। मि० ध्रुव इन्डीयन एन्टिक्वेरी वोल्युम १२ पृष २०१-३ में इसके परिचय संबंधमें लिखते हैं। “ERTHAN ", the village granted is situated in the Olpad Taluka of the Surat District. Five Kosh from Erthan is the place called Karanj Pardi. Near Karanj Pardi there is a Hillock called Mahellaruno Tekro, and a tradition there goes that it was a place of resort of the Padshahs of old in the Padshahi Time. It contained once a Palacial Building which was a place of Takhat, meaning thereby the Metropolish of the country. At about a Kosh and a half from Karanj Pardi is Bhagwa Dandi. And they are separated by a creek running in land. Nagamba is Nagda, Vadantha is lying to the South-East of Erthan. Lingvatis Lingoda or Nagda in the South of Erthan or it may be Lingtharja in the Chorasi Taluka, belonging to the Sachin State. Shiv is Shiv still. Can. Indothan be modern Earthan P Timbaruk is Taloda or Talda to the south of Erthan. The other places cannot be identified." "प्रदत्त ग्राम एरथाण सूरत जिला के अलपाड तालुका में है। एरथाणसे पांच कोषकी दूरी पर करंजपारडी है । करंजपारडी के समीप महेलारना टेकरा नामक एक टीला है । स्थानिक परं परा प्रगट करती है कि बाहशाही जमाने में उक्त टैकरा बादशाहों का अरामस्थान था । वहां पर राजकी राज्यथानी थी। आजभी पुरातन भवनोंका अवशेष वहां पाया जाता है । करंजसे देढ कोषकी दूरी पर भगवा दांडी नामक दो प्राम हैं। जिनको एक समुद्रकी छोर (क्रक) विभाजित करती है । नागम्बा वर्तमान नागडावारंथा है। यह ग्राम एरथान के दक्षिणमें अब स्थित है । परन्तु संप्रति ऊजड़ है। वटपद्रक वर्तमान बडोदा है। जो एरथाण के दक्षिण पूर्व में भवस्थित है। लिंगोदा संभवतः एरथाण से दक्षिण अवस्थित लिंगोदा या नगदा है। यह भी संभव है कि प्रशस्ति कथित लिंगवट चौरासी तालुकाके अन्तर्गत सचीन राज्यके आधीन लिंगथराजा नामक ग्राम हो शिव वर्तमान शिवा है। क्या प्रशस्ति का इद्रोत्थान आधुनिक एरथाण हो सकता है। टेम्बरुक एरथाण से दक्षिणवाला तलोदा है। इसके अतिरिक्त प्रशस्ति कथित अन्य प्रामोंका कुछ भी परिचय नहीं मिलता। ध्रुव महोदय के इस कथनसे एस्थाण ग्राम सूरत जिला के ओलपाड तालुका अन्तर्गत वर्तमान एरथाण सिद्ध होता है । परन्तु इनके कथनमें कितनी बातें ऐसी हैं कि इनके कथनको Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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