Book Title: Chaulukya Chandrika
Author(s): Vidyanandswami Shreevastavya
Publisher: Vidyanandswami Shreevastavya

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Page 264
________________ चौलुक्य चन्द्रिका 1 ५४४ श्री चौलुक्यराज कुम्भदेव का शासन पत्र स्वस्ति श्री मदादि देवाय नमः । अस्ति भूवन विदिता पुराण प्रख्याता चौलुक्थ नगरी मंगलपुरी नामा । तस्या भधि राजा परम माट्टरक परमेश्वर महाराजा श्री कृष्णराज स्तत्पादानुथ्यात परम भट्टारक परमेश्वर महाराजा श्री उदयराज तत्पादानुध्यात् महाराजा श्री रुग्मदेव तत्पानुध्यात् राजा श्री क्षेमराज स्तत्पादानुभ्यात् राजा श्री कृष्णराज स्तस्यानुजन्मा तद्विजय राज्ये श्री कुन्भदेवेन भूपतिना धवल नगर्या मादिदेवोऽयं प्रतिष्ठितः ॥ शमिति सुकुतोऽयं श्री कृष्णराजस्य । सम्बत १३७३ विक्रमा तीत १२३८ शाली वाहन शाके । कृष्ण सप्तमी कार्तिक मासे श्री कुम्भदेव के शासन पत्र छायानुवाद कल्याण हो । श्री आदि देवको नमस्कार । भूवन विदित पुराण प्रख्यात चौलुक्यों की मंगलपुरी नामक नगरी है। मंगलपुरी का अधिराजा परम भट्टारक परमेश्वर महाराजा श्री कृष्ण देव हुआ । श्री कृष्णदेवका पादानुध्यात् परं भट्टारक श्री महाराज. उदयराज । श्री उदयराज का पादानुध्यात् महाराज श्री रुग्मदेव । श्री रुग्देव काम पादानुथ्यात् श्री क्षेमराज और श्री शेमराज का पादानुध्यात् श्री कृष्णराज । श्री कृष्णराज का छोटाभाई कुम्भ देवने उसके विजय राज्य काल मे धघल नगरी के अन्तर्गत श्री आदि देवकी स्थापनाकी। कल्याण हो। इस देव स्थापना की सुकृति श्री कृष्णराज को प्राप्त हो । कार्तिक कृष्ण सप्तमी सनस् १३७३ विक्रम तदनुसार १२३८ शक । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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