Book Title: Chandonushasanam
Author(s): Anantchandravijay
Publisher: Chandroday Charitable and Religious Trust
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२१७
छदोनुशासन सादलयसंकीर्णस्य कर्पूरेण यथा “अविहडअवरुप्परप्परूढगुणगंठिनिवद्धओ, एआरिण हलि गलइ पिम्मु सरलिमवसलद्धओ, माणमडप्फरु तुह न जुत्त उत्तिमरमणि, तिमणि वारउं वारवार वारणगमणि, अह करिहि कलहु वल्लहिण सह इच्छिमयच्छिइ पणय मुहु, माणिक्कि मणंसिणि करिववलु हेल्लि खेलिताजओ तुहं" ७ कुक्कुमेन यथा “पंडिगंडयलपुलयपयरपयडणबद्धायरु, कंचि बालबालाविलासबहलिमगुणनायरु, दविडिदिव्वचंपयचयपरिमललहसडउ, कुंतलिकुंतलदप्पझडप्पणलंपणउ, मरहट्ठिमाणनिद्धाहवयविहवविहंसणसक्कउ, कसु करइ न मणि हल्लो (ला)हलउ मलयानिलहु झुलक्कउ” ८ रासावलयवस्तुवदनसङ्कीर्ण(स्य)कर्पू रेण यथा “तरुणिहूणि (ण)गंडप्पहुपुंछिअतिमिरमसि, उक्कझलुक्कावडणु दुसहु मा करउ ससि, मलयानिलु मयनयणि घुणिअकप्पूरकयलिवणु संधुक्किअमयणग्गि सहि इमा तुज्झ तवउ तणु, तणु अंगिमखडहडि पडहि तुह मयणबाणवेयणकलह, चय माणु माणि वल्लहिण सहुं चडि म जीव संसय तुलह ।” ९ कुमेन यथा “ सवणनिहिअहीरयहसंतकुण्डलजुअल, थूलामलमुत्तावलिमण्डिअधणकमल, सेअंसुअपंगुरण बहलसिरिहंडरसुज्जल, बहुपहुल्लविअइल्लफुल्लफुल्लाविअकुन्तल, तो पयड धाइ दंसणजणियखलयणडरभरभारिअ, अहिसरइ चंदसुन्दरनिसिहिं पई पिअयम अहिसारिअ” १० वदनकस्य करेण यथा " किं न फुल्लइ पाडल . परपरिमल महमहेइ किं न माहवि अविरल, नवमल्लिअ किं न दलइ पहल्लिय कि न उत्थरइ कुसुमभरि मल्लिअ, दीहियतलायसरतल्लडिहिं कि न पसाहि पउमिणि फुडइ, तुवि जाइ जायगुणसंभरणु झाणु कि भसलु हु मणि खुडइ” ११ कुङ्कुमेन यथा “जइ तुह मुहु करयलु उमोडवि चल्लिअ ची(वी)रंचल अच्छोडवि माणिणि तुवि पसाओ करि सुम्मउ, पई पिइ उत्तावलिअ म गम्मउ, जइ किम्वइ वि संवहपयजुयलु इहु विहिवसिण विइ, ता तुज्झ मज्झ खीणतु खरउ किं न खामोअरि तुट्टइ” १२ एताश्च वस्तुवदनककर्पूराद्या

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