Book Title: Bhagvati Sutram Part 02
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: Hiralal Hansraj

View full book text
Previous | Next

Page 190
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandit व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥५१२॥ ७शतके उद्देशः ३ ॥५१२॥ फलिया हरियगरेरिजमाणा सिरी, अईव अईव उवसोभेमाणा उवसोभेमाणा चिटुंति ?, गोयमा ! गिम्हासुणं यहवे उसिणजोणिया जीवा य पोग्गला य वगस्सइकाइयत्ताए वमति विउकर्मति चयंति उववज्जति, एवं खलु गोयमा ! गिम्हासु बहवे वणस्सइकाइया पत्तिया पुफिया जाव चिट्ठति ।। (सूत्रं २७४)॥ [प्र०] हे भगवन् ! वनस्पतिकायिको कया काले सौथी अल्पआहारवाळा होय छे अने कया काले सौथी महाआहारवाळा होय छे ? [उ०] हे गौतम ! प्राबृह ऋतुमा श्रावण भादवा मासमा, अने वर्षा ऋतुमां-आसो कारतक मासमां बनस्पतिकायिक जीवो सौथी महाआहारवाळा होय छे, त्यारपछी शरद् ऋतुमां, त्यारपछी हेमंत ऋतुमां, त्यारपछी वसंत ऋतुमां अने त्यारबाद श्रीष्म ऋतुमां (अनुक्रमे) अल्प आहारवाळा होय छे. ग्रीष्म ऋतुमां सर्वथी अल्पाहारवाळा होय छे. [प्र०] हे भगवन् ! जो ग्रीष्म ऋतुमां वनस्पतिकायिक जीवो सौथी अल्प आहारवाळा होय तो ते घणा वनस्पतिकायिको ग्रीष्ममा पांदडावाळा, पुष्पवाळा, फलबाळा, लीलाछम दीपता, अने बननी शोभावडे अत्यंत सुशोभित केम होय छे ? [उ.] हे गौतम ! ग्रीष्म ऋतुमा घणा उष्णयोनिवाला जीवो अने पुद्गलो वनस्पतिकायपणे उपजे छे, विशेष उपजे छे, वधेळे, विशेष धृद्धि पामे के ए कारणथी हे गौतम ! ग्रीष्म ऋतुमा | घणा बनस्पतिकायिको पांददाबाळा, पुष्पवाळा यावत होय छे. ॥ २७४ ।। __ से नूर्ण भते ! मूला मूलजीवफुडा कंदा कंदजीवफुढा जाव बीया बीयजीवफुडा?,हंता गोयपा! मूला मूलजीवफुडा जाव बीया बीयजीवफुडा । जति णं भंते ! मूला मूलजीवफुडा जाव बीया बीयजीवफुडा कम्हा णं भंते ! वणस्सइकाइया आहारेंति कम्हा परिणामेति ?, गोयमा! मृला मूलजीवफुडा पुढविजीवपडिबद्धा तम्हा For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248