Book Title: Bhagvati Sutram Part 02
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: Hiralal Hansraj

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Page 223
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्याख्या प्रज्ञप्तिः ॥५४५॥ ७ शतके उद्देशः९ ॥५४५॥ पविसित्ता पहाए कयबलिकम्मे कयकोउयमंगलपायच्छित्ते सव्वालंकारविभूसिए सन्नबद्धवम्मियकवए उप्पीलियसरासणपहिए पिणद्धगेवेजे विमलवरबद्धचिंधपढे गहियाउहप्पहरणे सकोरिंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं चउचामरवालवीतीयंगे मंगलजयसहकयालोए एवं जहा उववाइए जाव उवागच्छित्ता उदाई हत्थिरायं दुरूढे, तए णं से कृणिए राया हारोत्थयसुकयरहयवच्छे जहा उववाइए जाव सेयवरचामराहिं उधुब्वमाणीहिं उधुब्वमाणीहिं हयगयरहपवरजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिबुडे महया भडचडगरविंदपरिवखित्ते जेणेव महासिलाए कंटए संगामे तेणेव उवागच्छह तेणेव उवागच्छित्ता महासिलाकंटयं संगामं ओयाए, पुरओ य से सके देविंदे देवराया एग महं अभेजकवयं वहरपडिरूवगं विउवित्ताणं चिट्ठति, एवं खलु दो इंदा संगाम संगामेति, तंजहा-देविंदे य मणुइंदे य, एगहत्थिणावि णं पभू कूणिए राया पराजिणित्तए, तए णं से कूणिए राया महासिलाकंटकं संगामं संगामेमाणे नव मल्लई नव लेच्छई कासीकोसलगा अट्टारसवि गणरायाणो हयमहियपवरवीरघाइयवियडियचिंधद्धयपडागे किच्छपाणगए दिसो दिसिं पडिसेहित्था ॥ [प्र.] अर्हते जाण्यु छ, अर्हते प्रत्यक्ष कयु के. अर्हते विशेषतः जाण्यु छ के महाशिलाकंटक नामे संग्राम छे. हे भगवन् ! महाशिलाकंटक संग्राम थतो हतो त्यारे कोण जीत्या अने कोण हार्या ? [उ.] हे गौतम ! बज्जी (इन्द्र) अने विदेहपुत्र (कूणिक) जीत्या, नव मल्लकी अने नव लेच्छकी जेओ काशी अने कोशलदेशना अढार गणराजाओ हता तेओ पराजय पाम्या. त्यारपछी For Private and Personal Use Only

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