Book Title: Bhagvati Sutram Part 02
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: Hiralal Hansraj

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Page 236
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 4-% % व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥५५८॥ 4%% ७ शतके उदेशः९ ॥५५८॥ % | सांभळीने अने जोइने घणा माणसो परस्पर एम कहे छे, यावत् प्ररूपणा करे छे के-हे देवानुप्रिय! ए प्रमाणे घणा मनुष्यो यावत् 8 देवलोकमां उत्पन्न थाय छे. ॥ २७२॥ वरुणे णं भंते ! नागनत्तुए कालमासे कालं किच्चा कहिं गए कहिं उववन्ने?, गोयमा! सोहम्मे | कप्पे अरुणाभे विमाणे देवत्ताए उववन्ने, तत्थ णं अत्थेगतियाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाणि ठिती पन्नत्ता, तत्थ णं वरुणस्सवि देवस्स चत्तारि पलिओवमाई ठिती पन्नत्ता । सेज भते ! वरुणे देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्वएणं जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतं करेहिति । वरुणस्स णं भंते ! णागणत्तुयस्स पियवालवयंसए कालमासे कालं किच्चा कहिं गए ? कहिं उववन्ने?, गोयमा! सुकुले पञ्चायाते। से णं भंते! तओहिंतो अणंतरं उव्वहित्ता कहिं गच्छिहिति कहिं उववजिहिति?, महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतं करेहिति । सेवं भंते ! सेवं भंते! त्ति ।। (मूत्रं ३०३ ) सत्तमस्म सयस्स णवमो उद्देसो सम्मत्तो ।। ७॥९॥ [प्र०] हे भगवन् ! नागनो पौत्र वरुण मरण समये मरीने क्यां गयो, क्या उत्पन्न थयो ? [उ०] हे गौतम! सौधर्म देवलोकने विषे अरुणाभ नामे विमानमा देवपणे उत्पन्न थयो छे. त्यां केटलाक देवोनी आयुषनी स्थिति चार पल्योपमनी कही छे. IX | त्यां वरुणदेवनी पण चार पल्योपमनी स्थिति कही छे. [प्र०] हे भगवन् ! ते वरुणदेव देवलोकथी आयुषनो क्षय थवाथी, भवनो क्षय थवाथी, स्थितिनो क्षय थवाथी-क्यां जशे ? [उ०] यावत् महाविदेह क्षेत्रने विषे सिद्धिने पामशे, यावत् [सर्व दुःखोनो अन्त %%% For Private and Personal Use Only

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