Book Title: Bhagvati Sutram Part 02
Author(s): Sudharmaswami,
Publisher: Hiralal Hansraj
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥५५०॥
७ शतके उद्देशः ९ ।।५५०॥
%
A
4
| मुक्या. [प्र०] हे भगवन् ! शा कारणथी ते रथमुशल संग्राम कहेवाय छे ? [उ०] हे गौतम ! ज्यारे रथमुशल संग्राम थतो हतो तात्यारे अश्वरहित, सारथिरहित, योद्धाओ रहित अने मुशलसहित एक रथ घणा जनसंहारने, जनवधने, जनप्रमर्दने, जनप्रलयने, तेम
लोहिना कीचडने करतो चारे तरफ चारे बाजुए दोडे छे; ते कारणथी यावत् ते रथमुशलसंग्राम कडेवाय छे. [म०] हे भगवन् ! ज्यारे रथमुशल संग्राम थतो हतो त्यारे केटलालाख माणसो हणाया? [उ०] हे गौतम! छन्नुलाख माणसो हणाया. [प्र०] हे भगवन् ! शीलरहित ते मनुष्यो यावत् क्यां उत्पन्न थया? [उ०] हे गौतम ! तेमां दशहजार मनुष्यो एक माछलीना उदरमा उत्पन्न थया, एक देवलोकमां उत्पन्न थयो, एक उत्तम कुलने विषे उत्पन्न थयो, अने बाकीना मनुष्यो घणेभागे नारक अने तियचयोनिमां उत्पन्न थया. ॥ ३० ॥
कम्हा णं भंते ! सक्के देविंदे देवराया चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया कूणियस्स रन्नो साहेज दलइत्था ?, गोयमा! सके देविंदे देवराया पुव्वसंगतिए,चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया परियायसंगतिए, एवं खलु गोयमा! सफे देविंदे देवराया चमरे य असुरिंदे असुरकुमारराया कूणियस्स रन्नो साहिज्जं दलइत्या ।। (सूत्रं ३०१)॥
[प्र०] हे भगवन्! देवना इन्द्र देवना राना शके अने असुरना इन्द्र असुरकुमारना राजा चमरे कूणिक राजाने केम सहाय आपी? [[उ०] हे गौतम ! देवनो इन्द्र देवनो राजा शक्र कूणिकराजानो पूर्वसंगतिक-पूर्वभवसंबन्धी मित्र-हतो, अने असुरेन्द्र असुरकुमारनो राजा चमर कूणिक राजानो पर्यायसंगतिक-तापसनी अवस्थामा मित्र-हतो, तेथी हे गौतम! ए प्रमाणे देवना इन्द्र देवना राजा शके अने असुरेन्द्र असुरकुमारना राजा चमरे कणिक राजाने सहायता आपी. ॥ ३०१ ।।
%
A3+3+
+
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248