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जो उत्तर प्रदेश राज्य के शिक्षा विभाग के भी आयुक्त एवं सचिव हैं, और इस ग्रन्थ के प्रकाशक हैं, सतत् प्रेरणास्त्रोत एवं पथप्रदर्शक रहे हैं। जब जो कठिनाई सामने आई, उन्होंने उसे सरल किया। उनके प्रौढ़ अनुभव, सुरुचि एवं दिलचस्पी का लाभ प्राप्त होने से ग्रन्थ का प्रकाशन इस रूप में संभव हुआ है । समिति के परम उत्साही उपसचिव, श्री अजित प्रसाद जैन से तो सभी प्रकार की सहायता एवं सक्रिय सहयोग पग-पग पर प्राप्त हुए हैं।
जिन पूज्य संतों एवं नेता महानुभावों के आशीर्वाद, सन्देश और श्रद्धांजलियाँ प्राप्त हई हैं, जिन विद्वान लेखकों की अमूल्य रचनाएं स्मृति ग्रन्थ के लिए प्राप्त हुई हैं, अथवा जिनके लेखों या लेखांशों का इसमें चयन किया गया है, उन सबका तथा उन पुस्तकों एवं पत्र-पत्रिकाओं आदि के लेखकों, संपादकों व प्रकाशकों का भी, जिनसे उक्त चयन किये गये हैं, मैं हृदय से आभारी हूँ। लखनऊ तथा मथुरा के राज्य संग्रहालयों के निदेशकों से तथा अन्य संस्थाओं या सज्जनों से इस ग्रन्थ में प्रकाशनार्थ जो चित्र आदि प्राप्त हुए हैं, उनका भी मैं कृतज्ञ हूँ। जिन संस्थाओं एवं संस्थानों ने शुभकामना संदेश भेजने की कृपा की है, वे भी धन्यवादाह हैं।
अन्त में, मैं अपने सहयोगी, संपादक मंडल के सम्माननीय सदस्यों का आभारी हूँ, जिनसे मुझे समय-समय पर परामर्श, मार्गदर्शन एवं सहयोग मिला है। ग्रन्थ जैसा भी कुछ बन पड़ा है, वह उपरोक्त सभी महानुभावों के सहयोग का फल है, उसकी त्रुटियों का दायित्व संपादक पर है, किन्तु विभिन्न लेखों में व्यक्त विचारों के लिए संपादक उत्तरदायी नहीं है।
-ज्योति प्रसाद जैन
ज्योति निकुञ्ज, चारबाग, लखनऊ-२२६००१ महावीर निर्वाणोत्सव २५०१ (३-११-१९७५)
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