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संपादकीय
तीर्थंकर महावीर के २५००वें निर्वाण महोत्सव को पूरे एक वर्ष (१९७४-७५) पर्यन्त समुचित रूप से मनाने हेतु अन्तर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय, राजकीय, संभागीय एवं स्थानीय स्तरों पर अनेक संगठन बने, नाना योजनाएं बनीं और अल्पाधिक अंशों में कार्यान्वित भी हुईं।
उत्तर प्रदेश में भी राज्य स्तर पर एक 'श्री महावीर निर्वाण समिति का गठन हुआ। उक्त समिति की एक योजना निर्वाण वर्ष के समापन पर एक उपयुक्त ग्रन्थ प्रकाशित करने की थी, जिसका दायित्व मुझे सौंपा गया। मेरे सहयोग के लिए चार वरिष्ठ विद्वान साहित्यकारों एवं अनुभवी पत्रकारों का एक संपादक मंडल भी गठित किया गया।
मेरा प्रयत्न रहा है कि स्मृति ग्रन्थ में ठोस एवं स्थायी महत्त्व की सामग्री यथासंभव पर्याप्त रहे, जिससे कि वह एक सामयिक प्रकाशन मात्र न रह जाय, अपितु प्रबुद्ध पाठकों के लिए पठनीय, उपादेय एवं संग्रहणीय हो। इस उद्देश्य की पूर्ति में यह 'भगवान महावीर स्मृति ग्रन्थ' कहां तक सफल रहा है, इसका निर्णय तो विज्ञ पाठक एवं समीक्षकसमालोचक ही करेंगे। इतना ही कहा जा सकता है कि उसके लिए समय, श्रम और सावधानी में अपने जानते कोई कोताही नहीं की गयी है। तथापि, ग्रन्थ में अनेक प्रकार की त्रुटियाँ रही हो सकती हैं, उनके लिए में सहृदय पाठकों एवं समीक्षकों से सविनय क्षमाप्रार्थी हूँ।
'भगवान महावीर स्मृति ग्रन्थ' के प्रधान संपादक के रूप में मेरा यह सुखद कर्तव्य है कि मैं उन सभी महानुभावों के प्रति अपनी हादिक कृतज्ञता प्रकट करू जिन्होंने प्रत्यक्ष या परोक्ष, किसी भी रूप मैं उसके आयोजन, निर्माण, मुद्रण, प्रकाशन आदि में योग दिया है।
समिति के संरक्षक महामहिम राज्यपाल डा० एम० चेन्ना रेड्डी और अध्यक्ष, राज्य के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय श्री हेमवती नन्दन बहुगुणा का संरक्षकत्व एवं कृपादृष्टि समिति तथा उसकी योजनाओं पर निरन्तर बनी रही है। समिति के कार्याध्यक्ष एवं राज्य के उच्चशिक्षा मन्त्री माननीय डा० रामजी लाल सहायक से ग्रन्थ के कार्य के लिए प्रेरणा, प्रोत्साहन एवं मार्गदर्शन भी समय-समय पर मिलता रहा है। समिति के उपाध्यक्ष श्री लक्ष्मीरमण आचार्य एवं समिति के सभी सदस्यों से प्रोत्साहन एवं सहयोग मिला है । समिति के सचिव,
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