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चाई अजीतमति एवं उनके समकालीन कवि
अप्पय नगर प्रागरे मधि रहे मालमगंज माही । संपत्ति पंसठि साल जेठ सुदि दशमी माही। लिष्यो चरित्र श्रीपाल मांस एक मैं । निजु पर हेत के काज मिट क्रोधादिक जी के। यह परंथ बांचे सुने, सील विमा धीरज गहै ।। शभ गति पागे देग्मही, कर्मकाटि रिषभ कहे ।।
॥ श्री ॥
मिति पौस बुधि १० दीतयार सं. १८८६ ॥
समाप्त
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