Book Title: Bai Ajitmati aur Uske Samkalin Kavi
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur
View full book text
________________
३०२
यशोधर रास
मूलसंघ भारती गछ ।साof परमनंदी गछ राय तो ।। तेह पारि सोहि दीनकर ।सान सकलकीरती गुण काय हो ।।५।। मुबमकोसि भुवि विख्यात सा०। तस पाटि सार सणगार तो ।। शामभूषण ज्ञानदायक सास गोयम सम प्राचार तो ॥५२॥ विजय कीरती गुरु गमछपती ।साल। धन सिपी मुनीहंस तो ।। तस पटोपर मुभी सा0। वादीपकर यर वंस सो ॥५३॥ हूंबड कुल सां साबने ।साल। सकल भूषणों नुत पाय तो ।। वापीयां मानमर्दन ।सा० षटदशंण वादी राम तो ॥५४॥ तेह पाटि सुमतीकोरसी सूरि साo| तेह पाटि उपयोमान तो।। भवीयो कमल विकासवा (सा0। गुणकीरती गुण जाणतो ॥५५॥ एह गछपती तणि प्रन्यम सा०ब्रह्मचारी जिणदास तो । सोतिबास तस पद घर सान ब्रह्म हंसराम गुणवास तो ।।५६।। राजपाल ब्रह्म सेह पाटि सा0। सांप्रति श्री शांतिशास तो ।। तेह उपदेस धनपोर ।सालश्री जिनधर्म उल्हास तो ॥५॥ जैन ब्राह्मण सोहि तीहां सा। श्री संघ अनेक प्रकार तो ॥ संघवी मैकी प्रादि सहू ।सा०। करि जिनधर्म उदार तो ॥५८|| धन पन सालकोरती गुरु ।सा०। जेहने एह्या सीस निधान तो॥ धन धन ब्रह्म श्री जिगनास सा०। रच्या शास्त्र रास निधान तो ॥५६।। चन पम जिलास ब्रह्मवाणी सा०। प्रतीयोध्या ब्राहाण राज तो॥ प्रमंत पंडयाना नाम भतू सा०। जाणे जेहने राज समान तो ।।६।। ताणें आदर को समकीत रत्न साo। यले जीवदया प्रतिपाल तो ।। पट सर्पदीय करथ साo! कुतुलूखांन सभा विसाल तो ॥६१।। अनधर्म तिहां थापीयो साo। व्यापीयो जस अपार तो।। बिंब प्रासाद उद्धार करपा ।सान तस सुप्त केवजी उदार तो ।। ६२॥ तस पुत्री पावती सा०। परणी घरत सर्कत तो॥ चोवीस ब्राह्मण कुलि सा0। सोहि महीमावंत तो ।।१३।।

Page Navigation
1 ... 324 325 326 327 328