Book Title: Bai Ajitmati aur Uske Samkalin Kavi
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur

View full book text
Previous | Next

Page 324
________________ यशोधर रास बीस मो जीन गितीलो साग पास विधन हर नाम सो॥ वाराणसी पुरी बीस्वेसन प्रभु सा ब्राह्मी जनम्यो अभीराम तो ॥२५॥ नीलवरण तनु नव हस्त सा। मरनर रचीत कल्याण तो।। धरणे परमावली पूजीयो ।साल। बेह नामि होय कल्याण तो ।।२६।। नागलांछन नवनिधी पूरे सा चूरि वीधनतणी रास तो॥ हाकणी साकिणी ब्यंतरा सा। भूत भय जेह नामि त्रास तो ।।२७/1 पुत्र कलत्र मित्र संपदा सा भवीयां पूरि मास तो ।। कषि देवों पूजीयो ।साल। भयो जिन विघनहर पास तो ।।२।। जिन सासन रक्षा करो ।सा जयो जायो श्री खेत्रपाल तो ।। नागो नाग विभूषणो तो सा०1 हाथि डमरू जटाल तो ।।२६।। घूधरी पायें धमधमे |सा नेउर रम झमकार तो ।। मागीभर भरी मदचूरी सारा संनि करो जयकार तो ॥३०॥ मारक परम्परा मूलसंघ सरसती गछ ।सा. बलातकार गण पभिराम तो ।। पवमनंग गुरु गछपती ।सातवेंद्रकोरतो गुण ठामतो ।।३१।। विद्यान वि विद्यानीलो ।साल। तस पाटि सोहि नीधान तो ।। मल्लिभूषा महीमा भलो सा। मानीयो जेह सुलतान तो ॥३२॥ ललित अंग लकमीचा सा०। तेहपाटि मलनीधी चन्द्र तो॥ तप से करी सोहीयो ।हा। वीरवर सुमुनींद तो 1॥३३॥ लामवंस सोभा करू साह पटि सार सणगार तो॥ जामभूषण ज्ञाने भलो साका प्रभिमयो गोयम अवतार तो ॥३॥ सुमतिकीरतो सूरी प्राचार्य सा०। सेक्यो गेह अनुदीन सो ॥ रस्मभूषण सूरी वरि स्तथ्यो ।साल। मानभूषण सूरी धन्य तो ॥३४॥ तेह पाटि घुरघर |सान पीला हूंचड वंसतो ।। प्रभाचंद्र महीचाँदलो सा। ज्ञान सरोवर हंस तो ।।३।। कल्याण कोरती प्राचार्य साक। सेक्यो गेह सुभ मन तो 11 बारिराजला स्तव्यो ।सा०। प्रभाचा बन धन तो ॥३६|| तेह पाट उदयाचल सूर सारा मिथ्यावादी मदचूर तो ।। वाविना वादिस्वर सारा दीठडि होई माणंद तो ॥३॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 322 323 324 325 326 327 328