Book Title: Anusandhan 2017 11 SrNo 73
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 13
________________ सप्टेम्बर - २०१७ मिलिया सुरासुरगणो(णा) बत्तीससुराहिवा तओ तुरियं । केवलिमहिमं काउं विणीयनयरीए ओइन्ना ॥[७३]॥ रइयं च समोसरणं मणिमयसिं(सी)हासणं असोगतरुं । तत्थ उ पढमजिणिंदो विहिए सिंहासणे ट्ठाइ ॥[७४]॥ भरहो य चक्कवट्टी केवलिमहिमं जिणस्स नाऊणं । सव्विद्धीए सहिओ सिस(य)च्छत्तो गयवरारूढो ॥७५॥ पुत्तविओगसदुक्खं पुरओ मरुदेविसामिणि काउं । दट्टण जिणवरिद्धि विमाणसुरछाइयं गयणं ॥७६।। पागारतिगं सतोरणाई दुंदुहिनिनाय जयसदं । सोउं जिणजणणीए उप्पन्नं केवलन्नाणं ॥७७॥ आउं च परिसमत्तं सुरेहिं सक्कारिया पढमसिद्धा । भभ(र)हो य सोगसहरिसं(सोगहरिसं) अणुहवई थेवकालं तु ॥७८॥ ओयरिय मयगलाओ नवरं मोत्तूण पंच ककुहाई । छत्तं वाहण खग्गं मउडं तह चामराइं च ॥७९॥ दारुत्तरेण पविसइ सद्भूण(दट्टणं) जिण तिलोयपरिवारं । दुंदुहि-सियछत्तत्तय-चामर-सिंहासणारूढं ॥८०॥ हरिसरोमंचजुत्तो तिपयाहिण-वंदिओ सपरिवारो । उवविट्ठो भरहवई सक्काइ ट्ठियाउ सट्ठाणे ॥८१॥ भयवं कहेइ धम्मं नारय-तिरियाण मणुय-देवाणं । जह हुंति सुह-दुहाई उप्पत्ती जेण कम्मेण ॥८२।। तह सव्व-देसविरई पयासई वित्थरेण सुरमहिओ । भरहस्स सुया सोउं बहवे तत्थेव पव्वइया ॥८३।। बंभीपमुहा अज्जा सावय तह साविया अणेगाउ । इय पढमसमणसंघो उप्पन्नो उसभसामिस्स ॥८४॥ एवं मु(खु) अणेगाणं पडिबोहं काउमुट्ठई भयवं । देवा वि सभवणगया समत्त कल्लाणग चउत्थं ॥८५॥ चउत्थं कल्लाणयं सम्मत्तं ॥

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