Book Title: Anusandhan 2017 11 SrNo 73
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 42
________________ अनुसन्धान-७३ ४७. टांचसि = जप्ति राखवी (टांचमां ७६. माछी = हलको माणस लेवू) ७७. वुहरइ = ? ४८. लींचसि = ? ७८. मांहि-बाहरि = अंदर-बार ४९. ऊंचसि = ? ७९. जूउ = जूओ = जूदो ५०. वंचसि = छेतरवू (वंचना) ८०. मांकड = वानर ५१. चरचसि = चर्चा करवी ८१. मांखिक = मध ५२. वीचसि = वहेचवो (?) ८२. माश = मांस ५३. वांचसि = (वांचवू) ८३. नाखइ = वापरे ५४. मीचसि = बंध राखवू, मौन रहेवू ८४. माल = एक प्रकारचें घांस (मींचवू) ८५. सालि = चोखा ५५. नीच सि = ते नीच छे ८६. मांडा = घउंना रोटली-रोटला ५६. मानि = माप ८७. मांणि = घडो/पाणी भरवानी गोळी ५७. मांस्यु = माता साथे (माण) ५८. मांदल = एक प्रकारचें वाद्य ८८. मांडइ = बनावे ५९. न्हांणु = स्नान ८९. कोडिङ = छीबु । ढाकणुं ६०. माल = माळाविशेष (अलंकार) ९०. मातु = रच्यो-पच्यो (?) ६१. वढइ = झगडवू (वढवू) ९१. सकभी = सारा कार्यमां ६२. वुहरइ = व्यवहार करे (वहोरे) ९२. मांचे = खुश थाय ६३. सिमागमू = समागम ९३. मातुलिंग = एक औषधनुं नाम ६४. वढि = ? (वढ-ठपको) ___ (बीजोरु) ६५. लखइ = ? (लखवू?) ९४. वि(व)चसि = चूकीश ६६. डीलि = शरीरे ९५. विचसि = ? ६७. माम = मोटाइ ९६. लाई = ? ६८. सलज्ज = शरम वाळो ९७. विहचसि = छूटा थर्बु (वहेंचवें) ६९. सकज्ज = समर्थ ? ९८. आलोचसि = निंदा करवी ७०. सधर्म = सद्धर्म ? वाळो (आलोचवू) ७१. मासी तप = महिनानो तप ९९. विगुचसि = ? ७२. सकर्म = सारा कर्म (पुण्य)वाळो १००. संकोचसि = मुंझावं (संकोचावू) ७३. माल = धन दौलतादि मेळवे १०१. पुहचसि = पहोचवू ७४. मालिणि = हलकी स्त्री १०२. वोचसि = ? ७५. माटीपणुं = धणीपणुं [नोंध : ( )मां लखेला अर्थो अनुसन्धानना सम्पादकना छे.]

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