Book Title: Anusandhan 2017 11 SrNo 73
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 44
________________ ३८ अनुसन्धान-७३ ऐतिहासिक हकीकत आलेखी छे. आ ज ढाळमां रजू करायेल लब्धिविजयजीनी गुणस्तवना पण काव्यनी महत्त्वपूर्ण सामग्री छे. केदार गोडी रागनी त्यारपछीनी ढाळमां कविए सर्व प्रथम ज्यां हीरविजयसूरि चातुर्मासार्थे बिराज्या ते ऊना नगरनुं ऐतिहासिक वर्णन कर्यु छे. पछीना पद्योमां सूरिजीना उपदेशथी भावित थई सा. लखराजे करावेल बिम्बप्रतिष्ठामहोत्सव, प्रासादिक वर्णन छे. आ गाथाओमां पण खास गाथा ७८मां अंजनविधानसमये सूरिजी द्वारा वेदिका पर बेसवानी वात ते समये अंजनशलाकामां कराती विशिष्ट विधिनी नोंध छे. आ ज प्रतिष्ठा महोत्सवमां दीव संघनी विनन्तिथी पण्डित मुनिविजयजीने उपाध्याय पद आप्यानी ऐतिहासिक विगत पण कवि द्वारा ढाळना अन्त्य पद्योमा आलेखाई छे. छेल्ली ढाळमां कविए उपाध्यायजीनी गुणस्तवना करी, तेना फळरूपे इच्छित कार्यो सफळ थवानी तेमज गुरुजीना चिरजयीपणानी मनोकामना व्यक्त करी छे. अहीं 'भविक कुटुम्ब सवि ताहरूं, अनुक्रमि चारित्र लीधजी रे' पदथी उपाध्यायजीना सम्पूर्ण परिवारनी दीक्षानो कविए स्पष्ट निर्देश कर्यो छे तेने पण काव्यनी महत्त्वपूर्ण नोंध कहेवाशे. कृति रचना अंगे थोडं - प्रस्तुत कृतिनुं प्रतालेखन उपा. राजविमलजीना शिष्य उपा. मुनिविजयजीना शिष्य पण्डित नेमिविजयजीना शिष्य मुनि दर्शनविजयजी द्वारा संवत्-१६५२मां थयुं छे. आज लेखन संवत्मां हीरविजयसूरिजीए मुनिविजयजीने उपाध्याय पद आप्युं हतुं जेनी विगत काव्यमां आलेखाइ छे. तेथी अनुमान करी शकाय के प्रस्तुत कृतिनी रचना मुनि नेमविजयजीए मुनिविजयजीने पद अपायाना तुरंतना काळमां करी हशे. जो के लेखकनी असावधानीने कारणे केटलाक ठेकाणे कृति जरूर अशुद्ध लखाई छे तो पण एक अलभ्य-ऐतिहासिक कृति आपवा बदल लेखकश्रीने आपणा शत शत नमन. प्रान्ते कृतिनी हस्तप्रत Xerox आपवा बदल साहित्यमन्दिर ट्रस्ट (पालीताणा)ना व्यवस्थापकश्रीनो तथा पू. मु. जयभद्रविजयजीनो खूब खूब आभार.

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