Book Title: Anusandhan 2017 11 SrNo 73
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 62
________________ ५६ हेज हियानो स्युं कहुं रे, आज लगि अछेह रे... सु. आदर अवलो आपणो रे, पण किम कहीई तेह रे... (४).. रस. नारी मुखि ननो हुई रे हो करीई हाथि रे... सु. पहिली रीति से प्रीतिनी रे, अनुसन्धान- ७३ नहीं अणबोल्यइ नाथ रे... (५)... रस. विरह व्यथा वारू नथी रे, साचो सरस संयोग रे... सु. लाह लेई ईहलोकनो रे जातई सिर धरो योग रे... (६)... रस. हुं दासी धुं ताहरी रे, आपुं तन मन वित्त रे... सु. राणी ईम कहई राजिका रे, चातुर न धरई चित्त रे... (७)... रस. वनिता वयण न वेधीओ रे, साहमी दाखी सीख रे... सु. नेम निरुपम नाहलई रे, दीधी रांमा दीष रे... (८)... रस. दंपति मिलि दोडी गयां रे, सु. गिरुई शिवपुर गेह रे.... हंसविजय कविरायनो रे, तिलक कहई बहु तेह रे... (९)... रस. ॥ इति श्रीनेमिजिन स्तोत्र संपूर्णं ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86