Book Title: Anusandhan 2017 11 SrNo 73
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 39
________________ सप्टेम्बर - २०१७ ३३ नीच सि मांहि ५९न्हाणुं न करइ जु मिच्छत्त, नीच सि माहरु करइ जु जाणइ सवि तत्त. १९ जु द्रव्यि पूरुं नीच सि ६°माल न पहिरइ, नीच सि माहोमाहि "वढइ जु नितु नितु वुहरइ, नीच सिमागमू कीउ वढि जाइ जु संत, नीच सि मांगतनइ दांन न दि जु धनवंत. २० नीच सि माणस रेतउ(?) लखइ६५ जु सुसमर्थ, नीच सि माथइ भार लि जुडीलि६ असमर्थ, नीच सि माम मूंकइ जु तु अछेइ ६ सलज्ज, नीच सि मामा-घरि रहई जु पितृपक्ष "सकज्ज. २१ नीच सि मानव भव न समारइ जु °सधर्म, नीच सि मांसी-तप न करइ जु तुं सकर्म, नीच सि ३माल मेलइ जु तुं दान [न] दीइ, नीच सि मालिणिस्युं मिलइ जु सांन हुइ हईइ. २२ नीच सि मात्राधिक जिमइ जु डीलि सरोगी, नीच सि माटी खाइ जु पंछि नीरोगी, नीच सि ५माटीपणुं करि जु किंपि न चालइ, नीच सि मांरूपई (?) अपवीत्र नीर न झालिइ. २३ जु वैद्य ! तु न भणइ नीच सि माधवनिदान, नीच सि मा डाहु थाइ जु नहीं ज्ञान (?), तुं नीच सि माणिक मूंकीनइ लि काच, नीच सि माछीस्यु चु(वु)हरइ जु धर्म साच. २४ नीच सि मांहि बाहरि जूउ प्रीति ठांम, नीच सि मांकड परि चपल जु ध्यानि काम, नीच सि मां मासी सरिखा गणइ जु जाति, नीच सि मान्यु जे न करइ जु वंछइ ख्याति. २५ नीच सि मा बली(?) करइ जु साहमु बलवंत, नीच सि माखिक खाइ जु विरतीनुं मंत,

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