Book Title: Anubhav Prakash
Author(s): Lakhmichand Venichand
Publisher: Lakhmichand Venichand

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Page 68
________________ ॥ अनुभवप्रकाश ॥ पान ६६ ॥ परमार्थ पावना साध्य है । यतिजनसेवा साधक है, आत्महित साध्य है । विनय साधक है, विद्यालाभ साध्य है । तत्त्वश्रद्धान साधक है, निश्वयसम्यक्त्व साध्य है । देवशास्त्रगुरुकी प्रतीति साधक है, तत्त्व पावना साध्य है । तत्त्वामृत पीवना साधक है, संसारवेद मेटना साध्य है । मोक्षमार्ग साधक है, संसारखेद मेटना साध्य है । मोक्षमार्ग साधक है, मोक्ष साध्य है। ध्यान साधक है, मनोविकारविलय साध्य है । ध्यानाभ्यास साधक है, ध्यान सिद्धि साध्य है । सूलतात्पर्य साधक है, शास्त्रतात्पर्य साध्य है । नियम साधक है, निश्चयपद पावना साध्य है । नयप्रमाणनिक्षेप साधक है, न्यायस्थापना साध्य है । सम्यक्प्रकार हेय उपादेय जानना साधक है, निर्विकल्प निजरस पीवना साध्य है | परवस्तुविरक्तता साधक है, निजवस्तुप्राप्ति साध्य है । परदया साधक है, व्यवहारधर्म साध्य है । स्वदया साधक है, निजधर्म साध्य है । संवेगादि आठ गुण साधक हैं, सम्यक्त्व साध्य है | चेतनभावना साधक है, सहजसुख साध्य है ।

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