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कृष्ण-वासुदेव ने द्वारिका नगरी के विनाश का कारण जानकर, द्वारिका नगरी में घोषणा करवा दी कि इस द्वारिका नगरी का विनाश होने वाला है। अतएव राजा-रानी, सेठ, कुमार, कुमारी आदि जो भी भगवान् अरिष्टनेमि के पास दीक्षा अंगीकार करना चाहते हैं, उन्हें मेरी आज्ञा है। दीक्षा लेने वाले के पीछे जो भी बाल, वृद्ध व रोगी होंगे उनका पालन-पोषण कृष्ण-वासुदेव करेंगे तथा दीक्षा लेने वालों का दीक्षा महोत्सव भी स्वयं कृष्ण-वासुदेव बड़ी धूमधाम से करेंगे। इस घोषणा के परिणाम स्वरूप अनेक भव्य आत्माओं ने दीक्षा अंगीकार की। स्वयं कृष्ण-वासुदेव की आठ पटरानियों और दो पुत्रवधुओं ने दीक्षा अंगीकार की जिसका वर्णन इस वर्ग में किया गया है। .. इस वर्ग के दस अध्ययन हैं - १. पद्मावती २. गौरी ३. गांधारी ४. लक्ष्मणा ५. सुसीमा ६. जांबवती ७. सत्यभामा ८. रुक्मिणी ६. मूलश्री और १० मूलदत्ता। इन दस रानियों में प्रथम आठ तो कृष्ण-वासुदेव की पटरानियाँ एवं पिछली दो रानियाँ उनके सुपुत्र शाम्बकुमार की रानियाँ थी। शाम्बकुमार पहले ही दीक्षा ग्रहण कर चुके थे। अतएव दस ही रानियों ने कृष्ण-वासुदेव की आज्ञा प्राप्त कर भगवान् अरिष्टनेमि के पास प्रव्रज्या ग्रहण की और तप संयम की उत्तम साधना कर अपने कर्मों को क्षय करके सिद्ध-बुद्ध मुक्त हुई। .. ___ पांचवें वर्ग तक भगवान् अरिष्टनेमि के शासनवर्ती ५१ साधकों का वर्णन है। जिसमें ४१ पुरुष और १० राजरानियाँ हैं। - छठा वर्ग - इस वर्ग में कुल सोलह अध्ययन हैं - १. मकाई २. किंकम ३. मुद्गरपाणि ४. काश्यप ५. क्षेमक ६. धृतिधर ७. कैलाश ८. हरिचन्दन ६. वारत्त १०. सुदर्शन ११. पूर्णभद्र १२. सुमनोभद्र १३. सुप्रतिष्ठ १४. मेघ १५. अतिमुक्त और १६. अलक्ष्य। इस वर्ग में वैसे तो सोलह अध्ययन हैं। पर इन सब में मुख्य और विस्तृत वर्णन अर्जुन मालाकार एवं अतिमुक्तक राजकुमार का किया गया है। बाकी साधकों का दीक्षा अंगीकार करने, दीक्षा पर्याय, अध्ययन एवं मोक्ष गमन का वर्णन मात्र किया गया है।
___ अर्जुनमालाकार के लिए बताया गया है कि वह राजगृह नगरी का निवासी था, उसकी पत्नी का नाम बन्धुमती था, जो अत्यन्त सुन्दर एवं सुकुमाल थी। वहाँ महाप्रतापी राजा श्रेणिक राज्य करते थे। उनकी रानी का नाम चेलना था। उस राजगृह नगर के बाहर अर्जुन मालाकार का विशाल बगीचा था। उस बगीचे के पास ही मुद्गरपाणि क्षय का यक्षायतन था। अर्जुन 'मालाकार, पिता, दादा, परदादा से ही उस यक्ष की फूलों से अर्चना की जाती थी।
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