Book Title: Anekant 1998 Book 51 Ank 01 to 04
Author(s): Padmachandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 60
________________ अनेकान्त / २१ ९ चन्दपहो चन्दपुरे जादो महसेण लाच्छेमहि आहि । पुस्सस्स किण्ण एयारसिए अणुगह णक्खन्ते ॥ तिलोयपण्णत्ति-४/५३३ १० सीहपुरे सेएसो विष्टु गरिदेण वेणुदेवीए । एक्कारसिए फागुण सिद पक्खे समणभेजादो | तिलोयपण्णत्ति-४/५३६ ११ हयसेण वम्मिलाहि जादो हि वाराणसीय पासजिणो । पुसस्स बहुल एक्कारसिए रिक्खे तिसाहाए || लिलोयपण्णत्ति-५/५४८ १२ मुनयो वातरशना पिशांगा वसते गला - ऋग्वेद-१०/१३५/२ १३ व्रात्य आसीदीयमान एव य प्रजापति समैरयत् - अथर्ववेद-प्रथम सूक्ति । १४ प० बलभद्र जैन - भारत के जैन तीर्थ पृष्ठ १२४ । १५ कैलाश चन्द शास्त्री, जैन साहित्य का इतिहास पूर्वपीठिका - पृष्ठ १०८। १६ वही - पृष्ठ १०७ १७ वही - पृष्ठ १०४ १८. वही - पृष्ठ १०४ १९ बलभद्र जैन, भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ प्रथम भाग, पृष्ठ १२६ । निदेशक, श्री गणेश वर्णी दिगम्बर जैन संस्थान, वाराणसी

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