Book Title: Anekant 1998 Book 51 Ank 01 to 04
Author(s): Padmachandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 107
________________ सम्मेदशिखर विषयक साहित्य - डा. ऋषभचन्द्र जैन "फौजदार " बिहारभूमि प्राचीन काल से ही जैनधर्म का प्रमुख केन्द्र रही है। जैन परम्परा के २४ तीर्थकरों मे से २२ तीर्थकरों ने बिहार से निर्वाण प्राप्त किया है। उनमें बारहवें तीर्थकर वातुपूज्य ने चपायुर (मन्दारपर्वत) से, चौबीसवे तीर्थकर महावीर ने पावापुरी से तथा अजितनाथ, संभवनाथ, अभिनन्दननाथ, सुमतिनाथ, पद्मप्रभ, सुपार्श्वनाथ, चन्द्रप्रभ, पुष्पदन्त, शीतलनाथ, श्रेयाशनाथ, विमलनाथ, अनन्तनाथ, धर्मनाथ, शान्तिनाथ, कुन्थुनाथ, अरहनाथ, मल्लिनाथ, मुनिसुव्रतनाथ, नमिनाथ और पार्श्वनाथ इन बीस तीर्थकरो ने सम्मेद शिखर पर्वत से निर्वाण प्राप्त किया है । सम्भवत इसी कारण से इसे अनादितीर्थ या शाश्वत तीर्थ कहा गया है। साहित्य में इसके निर्वाणगिरी, सिद्धगिरि, सिद्धशैल, सम्मेदशिखर सम्मेदगिरि, सम्मेदपर्वत, सम्मेदशैल, सम्मेदाचल आदि अनेक नाम उपलब्ध होते है । कुन्दकुन्दकृत निर्वाण भक्ति ( प्राकृत), यतिवृषभकृत तिलोयपण्णत्ति, विमलसूरिकृत पउमचरियं, रविषेणकृत पद्मपुराण, पूज्यपादकृत निर्वाण भक्ति (संस्कृत), जिनसेन कृत हरिवश- पुराण, गुणभद्रकृत उत्तरपुराण, वर्धमानकवि कृत दशभक्त्यादिमहाशास्त्र, पं. आशाधरकृत त्रिषष्ठिस्मृतिशास्त्र, असगकविकृत शान्तिनाथपुराण, पउमकित्तिकृत पासणाहचरिउ, नायाधम्मकहाओ, विविधतीर्थकल्प, सकलर्कीतिकृत पार्श्वनाथ चरित, बनारसीदासकृत अर्धकथानक प्रभृति ग्रन्थों में सम्मेदशिखर पर्वत के उल्लेख मिलते हैं । बनारसीदास के अर्धकथानक में दो यात्रा विवरण भी मिलते हैं। एक विवरण का समय संवत् १६१३ और १६२६ के बीच है तथा दूसरे यात्रा विवरण का समय संवत् १६६०- १६६१ है । दूसरे यात्रा विवरण का उल्लेख वीर

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