Book Title: Anekant 1998 Book 51 Ank 01 to 04
Author(s): Padmachandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 116
________________ "सुभाषपुरा का प्राचीन जैन मंदिर" -नरेश कुमार पाठक मध्यप्रदेश राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमाक तीन पर सुभाषपुरा ग्राम स्थित है। पूर्व मे इसका नाम चोरपुरा था जिसे कुछ वर्ष पूर्व से इसका नाम परिवर्तित कर सुभाषपुरा रख दिया गया था। ग्राम के पास पहाड़ी पर दस शैलाश्रय है जिसमें एक मे उत्कीर्ण ब्राह्मी लिपि में अभिलेख जो लगभग पहली-दूसरी शताब्दी ईसवी का है। इन शैलाश्रयों मे लाल गेरू रंग की चित्रकला, चित्रित लिखावट है, जो लगभग पहली-दूसरी शताब्दी एव चौदहवीं शताब्दी का है। ग्वालियर राज्य की पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट में सात प्राचीन मंदिरों का उल्लेख है। वर्तमान पॉच मंदिरों के अवशेष दृष्टिगोचर है। इनमें यहाँ लगभग ११वी १२वीं शताब्दी का शिव मंदिर, शिव मंदिर के पास विशाल प्राचीन मंदिर, चौखम्बा प्राचीन मंदिर एवं बालाजी मंदिर के पास प्राचीन मंदिर है। इन्हीं मंदिरों से थोड़ी दूरी पर एक जैन मंदिर के खण्डहर है। इस प्राचीन जैन मंदिर के सभी अवशेष यहाँ बिखरे पड़े हैं। वर्तमान मे यह एक चौकोर चबूतरे के रूप में अवस्थित है। मंदिर के द्वार की देहरी है, जिसमें मध्य में सर्प, दायें ओर हाथी एवं बायें ओर सिंह-हाथी का अंकन है। मंदिर के स्तंभ घट पल्लव युक्त चौकोर एवं अष्टकोणीय है। यहाँ के प्राप्त जैन प्रतिमा वितान में तीर्थंकर का खण्डित सिर, त्रिछत्र, दंदभीक एवं दोनों ओर अभिषेक करते हुये गजराज का अंकन है। दायें ओर चंवरधारी का ऊर्ध्वभाग है, चंवर लिये है, करण्ड मुकुट, कुण्डल, दो एकावली हार पहने है, बायें और चंवरधारी

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