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श्रद्धांजलि
जन्म-1934 निधन-4-2-१५
साहू अशोक कुमार जैन कई वर्षों तक वीर सेवा मन्दिर के अध्यक्ष पद पर आसीन रहे। वैसे भी साहू परिवार इस संस्था के आरम्भ से ही इससे जुडा रहा है। सस्था के वर्तमान भवन का शिलान्यास १६ जुलाई, १६५४ को साहू शान्तिप्रसाद जैन के कर-कमलों से सम्पन्न हुआ था। ___अध्यक्ष पद छोड़ने के पश्चात् भी साहू अशोक कुमार जैन अपनी धार्मिक व साहित्यिक अभिरुचि के कारण जीवनपर्यत इस शोध सस्थान से सम्बद्ध रहे। स्वाध्याय और जिज्ञासु मन को शान्त करने के लिए वीर सेवा मन्दिर से समय-समय पर महत्वपूर्ण ग्रथ मगाते थे।
उनकी इस स्वाध्याय प्रवृति को जागृत करने मे आचार्य श्री धर्मसार जी की प्रेरणा मुख्य रुप से महत्वपूर्ण साबित हुई। मुझे याद है कि लूणवा तीर्थ क्षेत्र पर जब अशोक जी का परिचय आचार्य श्री से कराया गया कि इन्होंने भारतीय ज्ञानपीठ के न्यासी होने के नाते विपुल साहित्य छपवाया है, तब आचार्य श्री ने कहा था कि स्वकल्याण तो बाचने से होगा मात्र छापने से नही। उसके बाद जैसे-जैसे मेरा सम्पर्क उनसे बढा तो मैने पाया कि उनकी स्वाध्याय प्रवृति निरन्तर बढ़ रही है और उन्होने इस प्रवृति को अपने अन्त समय तक बनाए रखा।
यद्यपि आज हमारे बीच उनका नश्वर शरीर नहीं है किन्तु उनके द्वारा स्थापित अनेक धार्मिक और सामाजिक कीर्तिमान तथा गतिशील नेतृत्व की छाप समाज को गति प्रदान करती रहेगी। दिवगत आत्मा की सद्गति हेतु विनम्र श्रद्धांजलि के साथ,
सुभाष जैन महासचिव, वीर सेवा मदिर २१, दरियागंज, नई दिल्ली-२