Book Title: Alankar Mahodadhi
Author(s): Narendraprabhsuri, Lalchandra Bhagwandas Gandhi
Publisher: Oriental Institute
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गद्य-पथानां मूलस्थलादिज्ञापिका सूची। ३६५ पद्य-प्रारम्भः
अत्र पृष्ठे अन्यत्र पद्य-प्राप्ति-स्थलम् अपूर्वमधुरामोद- १६४ ( काव्यप्रकाशे उ. ७, २८७ ) अप्राकृतः स कथमस्तु ३१८ (सरस्वतीकण्ठाभरणे प, ४, १३७ ) अप्राकृतस्य चरितातिशयैश्च १४० ( महावीरचरिते अं. २, ३९) +अविन्दुसुन्दरी नित्यम् २२४ (उद्भटालङ्कारे अभवदवनीसारङ्गाक्षी २६२ ( अभिधाय तदा तदप्रियम् १७५ (शिशुपालवधे १६, २) अभिनवनलिनीकिसलय- २९२ (काव्यप्रकाशे रु. १०, ४८२ ) अभिनववधूरोषस्वादुः १६७ (औचित्यविचारचर्चायां १२३मालवरुद्रस्य)
( काव्यमीमांसायाम् अ. १८, पृ. १०४ ) अभूद् वरः कण्टाकितप्रकोष्ठः ९१ ( रघुवंशे
७, २२) अमित्रक्षेत्रषु प्रसभमसि अमुं कनकवर्णाभम् १११ ( महाभारते शान्ति ० अ.१५३,श्लो० ६५) अमुष्मिन् लावण्यामृत- २५८ ('सू० रामस्य, काव्यप्रकाशे उ. १०, ४३२) अमृतममृतं कः सन्देहः - १३७ (वामनीये का.
३, २) अमृतममृतं चन्द्रश्चन्द्रः २१४ (ग. विजयपालस्येति सु० सू० ) अयं पद्मासनासीन: ३३४ (मरस्वतीकण्ठाभरणे प. १, ५१) अयं मन्दद्युति स्वान् २७२ ( भामहकाव्यालङ्कारे ३, ३४ ) अयं मार्तण्डः किम् २४७ ( काव्यप्रकाशे उ. १०, ४१८ ) अयं स रशनोत्कर्षी १२६, १८४ ( महाभारते स्त्री. अ. २४, १९ ) अयं सर्वाणि शास्त्राणि २२२ ( काव्यप्रकाशे उ. ९, ३७३ ) अयमसौ भगवानुत पाण्डवः २४७ (किरातार्जुनीये १८, ९ ) अयमुदयति मुद्राभञ्जनः १९४ ( सरस्वतीकण्ठाभरणे १, १००; २, २९) अयशोभिदुरालोके २१८ (शिशुपालवधे १९, ५८ ) अयि ! पश्यसि सौधमाश्रिताम् १३६ ( अलङ्कारचूडामणौ अ. ३, २४८ ) अर(ल)ससिरमणी धुत्ताण १०८ ( काव्यप्रकाशे उ. ४, ६.) अरिवदेहशरीरः २२६ ( उद्भटालङ्कारे
व. १ ) अर्थित्वे प्रकटीकृतेऽपि १६२ (महावीरचरिते अं. २, श्लो. ९)
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