Book Title: Alankar Mahodadhi
Author(s): Narendraprabhsuri, Lalchandra Bhagwandas Gandhi
Publisher: Oriental Institute
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गद्य-पद्यानां मूलस्थलाविज्ञापिका सूची। ३७३ पद्य-प्रारम्भः
अत्र पृष्ठे. अन्यत्र पद्य-प्राप्ति-स्थळम् कूजितं राजहंसानाम्
२९३ . ( कृतं च वर्गा(ग )भिमुखम् २७४ (काव्यप्रकाशे ४,१०८) कृष्णेनाम्ब ! गतेन
६७ (औचित्य० कृष्णकर्णामृते २, ६४) कैलासालयमाललोचनरुचा
१२६ ( काव्यप्रकाशे ५, ११७) कोकिलालापमधुराः
२३२ (काव्यादरों २, ३५४) कोदण्डं यस्य गाण्डीवम् __४३ ( अलङ्कारचूडामणी अ. १, ४४ ) को नाम केशवः के वा २७३ ( कोपात् कोमललोलबाहु
९५ (अमरुशतके कोपो यत्र भ्रकुटिघटना
९३ ( अमरुशतके कोऽलङ्कारः सतां शीलम ३१४ ( अलङ्कारचूडामणौ अ. ६, ६४९) कौटिल्यं कचनिचये
३१४ ( रुद्रटालङ्कारे अ. ७, श्लो० ८१) कौन्तेयादिपुराणपार्थिव
२९ ( कौशाम्बी परिभूय
२६ (तापसवत्सराजे,नाट्यशास्त्रवि.अ.१६) क्रमादेक-द्वि-त्रिप्रभृति ४७ ( वक्रोक्तिजीविते : १, १४) क्रमेण चार्बोदितमिन्दु- २७१ ( क्रामन्त्यः क्षतकोमलागुलि- १८५ ( ध्वन्यालोके उ. ३, श्लो. २०) क्रीडारसेन रहसि स्मित- १८ (वक्रोक्तिजीविते १,८१) कोडे मा डिम्भमादाय २०७ (सरस्वतीकण्ठाभरणे २, १७२) क्रोधं प्रभो ! संहर संहरेति १८१ (कुमारसम्भवे स, ३, श्लो० ७२ ) क्वचिजटावल्कलावलम्बिनः २५७ ( क सूर्यप्रभवो वंशा
२७१ ( रघुवंशे स. १, श्लो. २) काकार्य शशलक्ष्मणः १००, १८२ (विक्रमोर्वशीये ४, ३३-३४) क्षिप्त पुरो न जगृहे
२० (शिशुपालवधे . ५, ५० ) क्षिप्तो हस्तावलमः
१८५ ( अमरुशतके श्लो. २) क्षीणा क्षीणोऽपि शशी २७८ (रुद्रटालङ्कारे अ. ७, श्लो० ९०) क्षुदाः सन्त्रासमेते
६६ ( काव्यादर्श २, हनूमन्नाटके ) खमिव जलं जलमिव खम् २४५ (बामनाये १, ३, १५)
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