Book Title: Alankar Mahodadhi
Author(s): Narendraprabhsuri, Lalchandra Bhagwandas Gandhi
Publisher: Oriental Institute

View full book text
Previous | Next

Page 430
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गद्य-पद्यानां मूलस्थलादिज्ञापिका सूची। ३८१ पद्य-प्रारम्भः . अत्र पृष्ठे अन्यत्र पद्य-प्राप्ति-स्थलम् द्यौरत्र क्वचिदाश्रिता ३० ( द्वयं गतं सम्प्रति १७, १३५, १५.. (कुमारसम्भवे स. १, श्लो. ७१) द्वयोर्गुणत्वे व्यापारद्वारोपातनिरन्तरे ५२ (काव्यप्रकाशे - ३, २२) वित्रः पाणिसरोरुहम् द्विरुक्तिः क्षीरोदः स्फुरति २२ ( धत्ते पत्युः प्रमाणाम् २३४ ( धन्याः खलु वने वाता: २८४ ( धवलो सि जइ वि सुंदर ! ३२२ (गाथासप्तशत्याम् ७, ६९) धातुः शिल्पातिशयनिकष- २९९ (काव्यप्रकाशे १०, १३५) धी( वी )राणं रमा घुसिणारुणमि १०६ (ध्वन्यालोके २, १११) धीरेण समं जामा . २३२ (सेतुबन्धे ५, ७) धृतधनुषि बाहुशालिनि धृतायुधो यावदहम ९० (वेणीसंहारे ३, ४६ ) धेहि धर्मे धनधियम् धैर्येण विश्वास्यतया महर्षेः १३३ (किरातार्जुनीये स. ३, श्लो. ३१ ) ध्वान्तानां दण्डधारः २५४ ( न कठोरं न वा तीक्ष्णम् २९६ ( काव्यादर्श २, ३२४ ) न तज्जलं यन्न सुचारु- __३०६ (भट्टिकाव्ये स. २, श्लो. १९ ) न त्वा(वा)श्रयस्थितिरियम् ३०२ (भल्लटशतके श्लो. ४) न देवकन्यका नापि २९६ ( काव्यादर्श २, ३२५) न नाम्नामावृत्त्या न बद्धा भ्रकुदिनापि २९६ (काव्यादर्श 'नमन्तु शिरांसि धनूंषि वा ३०२ ( हर्षचरिते उ. ६, २६४) नमस्तुङ्गशिरश्चुम्बि- २५२ (हर्षचरिते न मालतीदाम विमईयोग्यम् २१० (सरस्वतीकण्ठाभरणे २,२०५,४,६७) २, ३२६) For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482