Book Title: Agam Suttani Satikam Part 29 Uttaradhyayanaani
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text ________________
२५५
अध्ययनं-३६,[नि.५५९]
तित्त कडुपकसाया, अंबिला महुरा तहा।। मू. (१४८३) फासओ परिणया जे उ, अट्ठहा ते पकित्तिया।
कक्खडा मउया चेव, गुरुया लहुया तहा।। मू. (१४८४) __ सीया उण्हा य निद्धा य, तहा लुक्खा य आहिया।
इति फासपरिणया एए, पुग्गला समुदाहिया। मू. (१४८५) संठाणपरिणया जे उ, पंचहा ते पकित्तिया।
परिमंडला य वट्टा य, तंसा चउरंसमायया॥ मू.(१४८६) वण्णओ जे भवे नीले, भवइ से उगंधओ।
रसओ फासओ चेव, भइए संठाणओवि य॥ मू. (१४८७)
वनओ जे भवे नीले, भवए से उगंधओ।
रसओ फासओ चेव, भइए संठाणओविय। मू.(१४८८) वन्नाओ लोहिए जे उ, भइए से उगंधओ।
रसओ फासओ चेव, भइए संठाणओवि य॥ मू.(१४८९) वन्नओ पीअए जे उ, भइए से उगंधओ।
रसओ फासओ बेव, भइए संठाणओवि य॥ मू.(१४९०) वण्णओ सुकिले जे उ, भइए से उगंधओ।
रसओ फासओ चेव, भइए संठाणओविय॥ मू.(१४९१) गंधओ जे भवे सुब्भी, भइए से उ वनाओ।
रसओ फासओ चेव, भइए संठाणओवि य॥ मू. (१४९२) गंधओ जे भवे दुब्भी, भइए से उ वन्नओ।
रसओ फासओ चेव, भइए संगाणओवि य॥ मू.(१४९३) रसओ तित्तओ जे उ, भइए से उ वन्नओ।
गंधओ फासओ चेव, भइए संठाणओवि अ॥ मू.(१४९४) __रसओ कडुए जे उ, भइए से उ वनओ।
गंधओ फासओ चेव, भइए संठाणओवि अ॥ मू.(१४९५) रसओ कसाए जे उ, भइए से उ वनओ।
गंधओ फासओ चेव, भइए संठाणओवि अ॥ मू.(१४९६) रसओ अंबिले जे उ, भइए से उ वन्नओ।
गंधओ फासओ चेव, भइए संगणओवि अ॥ मू. (१४९७) रसओ महुरए जे उ, भइए से उ वनाओ।
गंधओ फासओ चेव, भइए संठाणओवि अ॥ मू.(१४९८) फासओ कक्खडे जे उ, भइए से उ वनाओ।
गंधओ रसओ चेव, भइए संठाणओवि अ॥ मू. (१४९९) फासओ मउए जे उ, भइए से उ वनाओ।
For Private & Personal Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316