Book Title: Agam Suttani Satikam Part 29 Uttaradhyayanaani
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 289
________________ २८६ - - मू. (१६८७) मू. (१६८८) मू. (१६८९) मू. (१६९०) मू. (१६९१) मू. (१६९२) मू. (१६९३) मू.(१६९४) मू.(१६९५) उत्तराध्ययन-मूलसूत्रम्-२-३६/१६८७ सागराणि य सत्तेव, उक्कोसेन ठिई भवे। सणंकुमारे जहन्नेणं, दुनि ऊ सागरोवमा।। सागरा साहिया सत्त, उक्कोसेन वियाहिया। मोहिंदंमि जहनेणं, साहिया दुन्नि सागरा। दस चेव सागराइं, उक्कोसेन वियाहिया। बंभलोए जहन्नेणं, सत्त उसागरोवमा । चउद्दस उसागराई, उक्कोसेन वियाहिया। लंतगंमि जहन्त्रेणं, दस उसागरोवमा। सत्तरस सागराइं, उक्कोसेन वियाहिया। महासुक्के जहन्नेणं, चउद्दस सागरोवमा। अट्टारससागराइं, उक्कोसेन वियाहिया। सहस्सारे जहन्नेणं, सत्तरससागरोवमा ।। सागरा अउणवीसंतु, उक्कोसेन ठिई भवे। आनयंमि जहन्नेणं, अट्ठारस सागरोवमा। वीसंतु सागराइं तुं, उक्कोसेन ठिई भवे। पाणयमि जहन्नेणं, सागरा अउणवीसई। सागरा इक्कवीसंतु, उक्कोसेन ठिई भवे। आरणमि जहन्नेणं, वीसइंसागरोवमा ।। बावीससागराइं, उक्कोसेन ठिई भवे। अच्चुयंमि जहन्नेणं, सागरा इक्कवीसई । तेवीससागराई, उक्कोसेन ठिई भवे। पढमंमि जहन्नेणं, बावीसं सांगरोवमा। चउवीससागराई, उक्कोसेन ठिई भवे। बिइयमि जहन्त्रेणं, तेवीसंसागरोवमा ।। पणवीससागरा ऊ, उक्कोसेन ठिई भवे। तइयंमि जहन्नेणं, चउवीसं सागरोवमा ।। छव्वीससागराइं, उक्कोसेन ठिई भवे। चउत्थयंमि जहन्त्रेण, सागरा पणवीसई॥ सागरा सत्तवीसंतु, उक्कोसेन ठिई भवे। पंचमंमि जहन्नेणं, सागरा उ छवीसई।। सागरा अट्ठवीसंतु, उक्कोसेन ठिई भवे। छटुंमि जहन्नेणं, सागरा सत्तवीसई॥ सागरा अउनतीसं तु, उक्कोसेन ठिई भवे। सत्तमं जहन्नेणं,सागरा अट्ठवीसई। मू. (१६९६) मू. (१६९७) मू.(१६९८) मू. (१६९९) मू. (१७००) मू.(१७०१) मू.(१७०२) मू.(१७०३) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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