________________ आगम निबंधमाला दीक्षित हुए / छहों ने 14 पूर्वो का ज्ञान हासिल किया / काल क्रमे छहों मुनि कर्मक्षय करके मुक्त हुए / मल्लीनाथ भगवान भी 55000 वर्ष का आयु पूर्ण कर सम्मेत शिखर पर्वत पर एक महीने के संथारे से निर्वाण को प्राप्त हुए। सातों मित्र पूर्व भव में महाविदेह क्षेत्र में राजा थे और इस भव में 6 मित्र भरतक्षेत्र में (भारत में ही) अलग-अलग देशों के राजा बने किंतु सातों में प्रमुख महाबल राजा यहाँ राजा नहीं बनकर राजकुमारी बना / छहों राजा विवाहित हो चुके थे परंतु मल्ली राजकुमारी अविवाहित 100 वर्ष की वय में पहुँच चुकी थी। छहों मित्रों के पूर्व भव के नाम- (1) अचल (2) धरण (3) पूरण (4) वसु (5) वेश्रमण (6) अभिचन्द्र। इस भव के नाम- (1) प्रतिबुद्धि राजा (2) चंद्रच्छाय राजा (3) रुक्मि राजा (4) शंख राजा (5.) अदीनशत्रु राजा (6) जितशत्रु राजा / मल्लिकुँवरी के पास पहुँचने के निमित्त :(1) प्रतिबुद्धि राजा- अपनी राणी के नाग पूजा महोत्सव में बने पुष्पों के श्री दामकांड की प्रशंसा करते हुए सुबद्धि प्रधान के द्वारा मल्लीकुँवरी के श्रेष्ठ श्री दामकांड़ की बात सुनकर उसके प्रति आकृष्ट हुआ। (2) चंद्रच्छाय राजा- समुद्री यात्रा से वापिस आने पर अरणक श्रावक के द्वारा मल्लिकुँवरी के रूप की प्रशंसा सुनकर उसकी तरफ आकृष्ट हुआ। (3) रुक्मि राजा- पुत्री के स्नान महोत्सव पर कंचुकी पुरुष के द्वारा मल्लि कुंवरी के स्नान महोत्सव की प्रशंसा सुनकर उसकी तरफ आकृष्ट हुआ। (4) शंख राजा- मल्लीकुँवरी के देवनामी कुंडल को सुधार नहीं सकने से देश निकाले की सजा प्राप्त करके आये हुए सुनारों के पास से मल्ली कुंवरी का वर्णन सुनकर आकृष्ट हुआ / (5) अदीनशत्रु राजा-अंगुष्ठ विद्या वाले चित्रकार के द्वारा मल्लि कुँवरी का आबेहूब चित्र उसके भाई मल्लदिन्न कुमार की चित्रशाला में बिना पूछे चित्रित करने के कारण अंगुठा कटवा कर, देश निकाले की सजा प्राप्त कर, मिथिला से आये हए चित्रकार के पास मल्लिकवरी का चित्रपट देख कर आकर्षित हुआ। (6) जितशत्रु राजा- मल्लि कुँवरी से धार्मिक चर्चा में परास्त बनी एवं उनकी दासियों से अपमानित / 75 /