________________ आगम निबंधमाला __ चतुर्विध मोक्ष मार्ग की सापेक्ष साधना ही मोक्ष फलदायी हो सकती है / वे चार प्रकार है- 1 सम्यग ज्ञान 2 सम्यग् श्रद्धान 3 सम्यग चारित्र 4 सम्यग तप / यथाणाणं च दंसणं चेव, चरित्तं च तवो तहा। एयं मग्गं अणुपत्ता, जीवा गच्छई सोग्गइं ॥-उत्तरा. अ.२८,गा.३ भावार्ण :- ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप इस चतुर्विध मोक्ष मार्ग को प्राप्त करके उसकी आराधना करने वाले जीव मोक्ष रूपी सद्गति को प्राप्त करते हैं / निबंध-७३ श्रमण के पर्यायवाची शब्द एवं अर्थ १-श्रमण- संयम और तप में श्रम करे, विषय वासना का शमन करे और समभाव युक्त रहे / २-निर्ग्रन्थ- कनक और कामिनी के त्यागी, परिग्रह,के सर्वथा त्यागी। ३-भिक्षु- निर्दोष भिक्षा करने वाले / ४-अनगार- जिन्होंने अपने घर का त्याग कर दिया हो। ५-यति- इन्द्रियों को वश में रखने वाले / ६-मुनि- अधर्म के कार्यों में मौन रहने वाले, ज्ञानवान / ७-पंडित- पाप से डरने वाले / ८-ऋषीश्वर- समस्त जीवों के रक्षक। ९-योगीश्वर- मन, वचन और काया के योगों को वश में रखने वाले। १०-ब्रह्मचारी- नव वाड़ युक्त जो ब्रह्मचर्य पाले / ११-साधु- आत्म-हित की साधना करे / सादा रहना, सादा खाना / १२-तपस्वी- कर्मों की निर्जरा के लिए दीर्घ तप करने वाले / १३-ऋजु- सरल हृदयी / १४-प्राज्ञ- बुद्धिमान / १५-अकुतोभय- किसी भी प्राणी को जिससे भय नहीं / जो स्वयं भय रहित निर्भय हो / | 254]