Book Title: Agam Nimbandhmala Part 02
Author(s): Tilokchand Jain
Publisher: Jainagam Navneet Prakashan Samiti

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Page 200
________________ आगम निबंधमाला (अनेक हाथ से 7 या 10 हाथ भी हो सकती है।) एक हाथ करीब 1 फुट का माना गया है। उम्र प्रारम्भ में मध्य में उत्कृष्ट 200 वर्ष से कुछ कम हो सकती है। अंत में उत्कृष्ट 20 वर्ष होती है। इस काल में मनुष्यों में विनय, शील, क्षमा, लज्जा, दया, दान, न्याय, नैतिकता, सत्यता आदि गुणों की अधिकतम हानि होती है और इसके विपरीत अवगुणों की अधिकतम वृद्धि होती है। गुरु और शिष्य अविनीत अयोग्य अल्पज्ञ होते हैं / चारित्रनिष्ठ क्रमशः कम होते जाते हैं। चारित्रहीन अधिक होते जाते हैं। धार्मिक, सामाजिक और राजकीय मर्यादा लोपक बढ़ते जाते हैं और मर्यादा पालक घटते जाते है एवं इस आरे में दस बोलो का विच्छेद होता है। भगवान महावीर स्वामी अंतिम तीर्थंकर के मोक्ष जाने के बाद गौतम स्वामी, सुधर्मास्वामी, जम्बू स्वामी तक 12+8+44= 64 वर्ष तक केवलज्ञान रहा, उसके बाद . इस आरे के अंतिम दिन तक साधु साध्वी श्रावक श्राविका धर्म की आराधना करने वाले एवं देवलोक में जाने वाले होते हैं। विच्छेद के दस बोल :- (1) परम अवधिज्ञान (2) मनःपर्यवज्ञान (3) केवलज्ञान (4-6) तीन चारित्र (7) पुलाकलब्धि (8) आहारकशरीर (9) जिनकल्प (10) दो श्रेणी उपशम और क्षायिक / ___ कई लोग भिक्षुपडिमा, एकल विहार, संहनन आदि का भी विच्छेद कहते हैं किन्तु उसके लिये कोई आगेम प्रमाण नहीं है अपितु आगम से विपरीत भी होता है। भगवान महावीर के शासन में 1000 वर्ष बाद संपूर्ण पूर्व ज्ञान का मौलिक रूप में विच्छेद हुआ, आंशिक रूपांतरित अवस्था में अब भी उपांग, छेद आदि में विद्यमान है। 21 हजार वर्ष तक यह भगवान महावीर का शासन उतार-चढ़ाव के झोले खाता हुआ भी चलेगा। सर्वथा(आत्यंतिक) विच्छेद भगवान के शासन का इस मध्यावधि में नहीं होगा। किन्तु छट्ठा आरा लगने पर पाँचवें आरे के अंतिम दिन ही होगा। प्रथम प्रहर में जैन धर्म, दूसरे प्रहर में अन्य धर्म, तीसरे प्रहर में राजधर्म, चौथे प्रहर में अग्नि का विच्छेद होगा। इसी प्रकार का वर्णन सभी अवसर्पिणी के पाँचवें आरे का समझना। यह आरा 21000 वर्ष का होता है। छट्ठा आरा :- यह आरा भी 21 हजार वर्ष का होता है। महान | 200

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