Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra
Author(s): Darbarilal Nyayatirth
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
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दशवैकालिके प्रथमा चूलिका ।
६४५
एटले गृहस्थना ( कामजोगा के० ) कामनोगा: एटले कामनोग जे ते ( लदुसगा के० ) लघवः एटले फोतरानी पेठे तुछ छासार बे. अने ( इत्तरिया के० ) इत्वरा: एटले क्षणिक बे. तथा परिणामे कडवा बे. माटे श्र कालमां गृ हस्थाश्रम शुं कामनो ? एवो विचार करवो. ए बीजुं स्थान थयुं. ( २ ) तेमज (जुजो अ के० ) नूयश्च एटले फेर वली दुःखमा कालने विषे ( मणुस्सा के० ) मनुष्याः एटले मनुष्य जे ते (सायबहुला के०) स्वातिबहुलाः एटले घणी माया ( कपट ) करनारा बे, अर्थात् मायाथी घणोज याकरो कर्मबंध थाय बे. माटे गृहस्थाश्रम शाकामनो ? एवो विचार करवो. या त्रीजुं स्थान ययुं. ( ३ ) तेमज (इमेा के० ) इदं च एटले था ( मे के० ) मे एटले मारुं (डुके के०) दुःखं एटले दुःख जे ते ( चिकालो वा के० ) चिरकालोपस्थायि एटले घणा काल सुधी रहेवावालुं एवं (न विस्सइ के० ) न जविष्यति एटले नथी. अर्थात् नरकादि गतिमां जे मे दुःख सह्या बे, तेना प्रमाणमां या संयम पालतां मने जे दुःख थाय बे ते कशी गणतिमां नथी. वली या संयमडुःख खमवाथी कर्मनिर्जरा थाय बे. माटे ए मूकीने गृहस्थाश्रममा शुं सुख बे ? गृहस्थाश्रममां आरंज समारंभ होवाथी नरक प्राप्ति थाय बे. एवो विचार करवो. या चतुर्थ स्थान ययुं. (४) तेमज ( उमजणपुरकारे के०) श्रवमजनपुरस्कारः एटले हलका माणसने पण मान आपवो पडे बे. अर्थात् चारित्री साधुनी तो राजा, मंत्री, श्रेष्ठी प्रमुख लोको वंदनादिक वडे पूजा करे बे, अने चारित्रथी ष्ट एल पुरुषने तो पोतानुं कार्य साधवा माटे हलका माणसनी पण हाजी करवी पडे, तेमज राजा धर्मी होय तो चष्टचारित्रीने वेठ प्रमुख दुःख पहा खमवुं पडे. माटे गृहस्थाश्रममां शुं सुख वे ? एवो विचार करवो. ए पांच स्थान युं. (५) तेमज (वंतस्स के० ) वान्तस्य एटले पूर्वे वमेला, त्याग करेला एवा विषयनुं (पडिश्रायणं के०) प्रत्यापानं एटले फरिथी पान करवुं ए निंद्य बे. अर्थात् एवं arg ए श्वानादि नीच प्राणिनो स्वभाव बे, सत्पुरषो या वातनी निंदा करे बे, तेमज एथी दुःख तथा रोग थाय बे. मे दीक्षाने अवसरे सर्वे कामजोग वम्या बे, हवे जो एं पातुं ग्रहण करीश तो ते एवं खावा समान बे. माटे गृहस्थाश्रम वडे शुंप्रयोजन ? एवो विचार करवो. ए बहुं स्थान थयुं. ( ६ ) तेमज ( अहरगवासोवसंपया के० ) धरगतिवासोपसंपत् एटले संयमनो त्याग करवाथी नीच गतिने विषे जेथी स्थिति थाय एवा कर्मनुं बंधन थाय बे, के जेथी नारकी तिर्यंच प्रमुख नीच गतिमां जनुं पडे बे. माटे एवा गृहस्थाश्रम वडे शुं प्रयोजन ? एवो विचार करवो. ए सातमुं स्थान aj . ( 9 ) तेमज (गिहवासमने के०) गृहपाशमध्ये एटले घरमां पासा सरखा स्त्री पुत्र
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