Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 397
________________ TOS प्रया सत्यवापाचत पटमात्र जोर सवमनुगपतीत्येव वदन्तीवधिमा मोटरामाशिषमतावसम्पिन उपसरपञ्चतत् पलियावर्तिव्यापथ वचनामपा मपोति पववपनिमायन्ति प्रवचन जिनागर्म मिडपते पपसपनवम्यथा तदेवदेशवाम्य पगमात्ते प्रवचन मित्रपका व परियासि गमाम वामित्यादिति मियारयम विपरीतबोधा भवर पयमा भिचाटनादिविषया सिम - रमीपरपादिमा सामान्या सावतण्या रति १८, प्पषयपणिगहका केवलचरिया जिगमामस्वामिछल्लिा बहर घसम्माधुग्भावणाहिमिच्छताभिमिणिय सेहियथप्पा यच परच तटुभयच बुग्गामाषा षुप्पाएनाणा विझरिता पहावामा मामयपरियाग पाठति कालमासे कालकिच्चा उच्छोसेण उमरिमेस गेवेनम देवत्ताएनपत्तागेमवति तेतिमिगती एखतीममागरोषमार ठितौ मपिपिपिदिईन उनियमपिछेदचारपमित्र मतानुसारो एकसमयामोतरण पिनियामोप घेद गगाचायमतानुसारो५ जीयपजीवएवधि पिरासिस सारोमारियविहिरोछ गुप्तमता सारी सोपस्य कर्मक वनीपरिपरमौरक्षेपरब धमलोगोरामापिसगतानुसारी, एएचएसमाते । प्रवचनको विपरीतपरुपावरसमवेनिष पापकाभिचाटमादिफियारप्रपाता शिमरजापरणादिवगेसासरोपावेमियाटीविपरीत ) मतिमाधी घमारक पत्राववियानपच्यतापदानीबावनीसमे चादिकतेमधरो मिप्याबझठा पदामंतातेपछयाकरिवापछताते . शताकरिवातेनिनिय समाविबरी पापणपोपाबानेपर परामपुष तदुभगिनरपुण पाहतासितपापरविषैनोयता व्य त्पादवा, । पसबापतासमवंतापरतावका पोषरर विपरीने पारससमीर सामान्यपपरपासीने पाखमरपनापवसरमरविपर बासमरपवरीने

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