Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 409
________________ -- - - - अपरिग्गा धम्मिया वाय कप्पेमाणा मुसौखा सुखता सुपछिया पंदा साज सव्यानोपामाइवायातोपरिषिरया भाव ! सव्याचो परिम्गहापो पसिविरया सध्याचोबोहाघो मायामो माया यो लोभापो जाव भिच्छादसणसल्लामोपडिविरया सापो पारंभसमारमा घोपडिविरया मयाभोकरषकारावायोपडिषिरया मवानोपयणपयाषणामोपडियिरया सव्वा यो कट्टयपिट्टषतज्जयतामसवसमंघपरिकिन मापोपसिपिरया सष्या घोगशाणमहायसवापिलव सरमरवगंध पारंमबरसादिकवि धौतेणि परिगृहममतापापनादिवरहित धमतधर्मचारिखधर्मनीचरणहार मापथोपने रागद धर्मन उत्तमपारिपपासिव । जचिस यमनिर्वाश्वस्वे पापरता सहभसपोममीसमाचारवेष्टनमो पहुभम्नावसमहाप्रतादिक मुष्ठ भन्चालपापहादसहितमधचिप्तमा मापारिवियोपर्वमनवनवायारपरपरावरपनुमोदन नवभगीमापोवन पतिपातपणियपोतेपथकीपतिथयस्य विनिवार मायथप्दथी पनैराबोच सर्वसर्वनाममिवरीपरिग्रामास ममतापापोनारापिधामको पतिपय विरतामिवाई सर्वसमम्तम्तीधरोसपकोविरतानियाची सर्वसमस्त मानवाभिमांगयौनिवजो समायायीपरषचनावोनिवर्या सर्वतोमाछापथकीविरतामिवयोषा जावादयोपनेरा मिप्यायनागुरु कुवतधर्मोनीपाखाहरूपमममी पतिययस विरतामिव या सर्वसषसार पारमजीवनपीसपद्रवसमारंभने जीतादिकपद्रवश्यायाविये प्रवर्तिवो वकीपतिमयम विरतानिवच्या सर्वसमस्तकरीव पोष्यापारादिवराविषपोपनरापारिकरसपथ्यापारादिका से पथकीपतिगयय विर तानिवाकर सर्वसमापोतपचिव पम्यादिकापचाविषपोपनेरापाविस्थषी पतिमयम विरतानिवाएर सर्वसमस्तवापरादिफहच -

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