Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 448
________________ दरसचिवन्ति दयनाथ पाराम हिता दमनोया तो पाचनं याम्यतीत्यर्थः प्रमिस्वति प्रभिमतं रूप यता मा पनिपा मनोये त्वर्थः पश्चिमति द्वार२ प्रविरूपं मस्ता सा प्रतिरूपा बोमिलोमतेति इह योजन सुते धानुरायोजन ममेयं तदीयध्यैव हि कोपभागस्य • सभापति पदधिकच मतममोप्रमाद्यत्वादिति पजातिजरामरणमधानयोनिषु वेदना यत्र स परमाइरामरचचोपिवेद - वयात सारकलककोमा वपुचम्भवम भवास व सचोपचमता संसारकच [१] सोभावेनासमासत्वेन ये पुन: पौनःपुन्ये मो पादा गर्भवासवस्तयय नवमी श्रमनिवासायास म' प्रपचो विस्तरः स तथा तस्तमतिक्रान्ता निलो पाठाम्वरमिष्ट वेग जाइरामरपोषि संचारचच चचौमाषपुष्णग्भवम वासवसत्रिवमवंतति पवनातिरामरच मघाना योगयो यत्र स तथा सचासो संसारयेति समास पच भोमावेन यः पुनरभवेन पुनःपुनदत्यच्या गर्भवास बसतीनां मपचतं समतिक्रान्ता ये ते तथा' ' प प्रयोत्तरदारेप सिडानामेव वक्रव्यता मिठगते तस्य जोषणा बेसे उवरित गाउर ताणगा उभस्म न सेतवरिल ष्ठमागिए सत्यािभगवतो सादीया अपज्जवलिया अगवा, जरामरणशोथिनेयल ससारक संगालोमा पुखग्भवगग्भवासमसही पवचसमज सा प्रचचरद्द हे विताइटिकाममानपामा मनोहररूपवर देवखवारनारूप पारदोस सिरिसिया पदवीबी एवरयोजन घोलमन लेखापरिक्षत एकाच देवएवमाजनची येते अपरिसमापनमा ति सिह प्रनियत पार्टिबरीसहित धामसिमे हमर हि मानव उनो मौ जाति जन्ममरा मरपजोनिजपत्रिषु वेदनामीबियो पारावारभार ववौममर्थचारमारि ह Jha

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