Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 449
________________ मायादिश्य कमविता व प्रथिता सिवा सुखा तथा विडा प्रतिष्ठिता व्यवस्थिता इत्यर्थ तथा श मोदि शरोर स्वक्षा तथा क गया सिम्फत माजतस्वात् पातित्यादिवसिध्यतीति म्यारवमिति१ असो अशोकाचायास्तिकाय प्रतिहता मतिखलिता सिधा सत प्रतिवचनानन्तर्यकृतिमान तथा सोकाग्रे च पञ्चातिकायाका लोकनि च प्रतिठिता अपुनरागत्या व्यवस्थिता इत्यर्व तथा मनुष्यचेय बोदित परिय तथेति सोका गया सिन्देश सिध्यन्ति निटिता भवन्ति २ विच संसठाच गाडा व्यथा नवरं प्रशघन मिति त्रिभारीन श्वासयमणागयसिहंचिट्ठ ति गाथा कहिपहिया मा कहि सिद्धापडिट्टिया कहिवोदितायण कत्थगत्य सिज्मई १ सोयम्गेयपडिट्टिया इडियोदिंचरत्ताय तत्यगत समिई २ ण सठाणतद्भवञ्च ण तस्मृ चरिमसमयनि आमीयपएसघणं तसठाणंतेव्हिता ३ वसतिवास प्रपंचच को प्रतिकमाचर सात उपमागत का सगोतांसिहरतेसवरहर गाहा कि प्रतिहतई पाप आसिद्धिमा जोवपानापास्या विह। सिथिनाजोषसमनिरपचरा पमान न विपर मोदोमरोर तन्या यावर विद/यईन सिद्धिनाजीवसोझा सिधा मोकम विपश्रूजईप्रतिडतिघापण्या सिद्धगुद उत्तर जोबन विभाग रक्षाले सिङ्घवनोदां भवतरिषु गयी ईहामनुष्यलोरिपरलो तिमोच असोसिष्ठ २ बेथरी संस्थानांस सारमोहिममुचभव मनुवनपजतादरमऐहसासमयनविपर पासो प्रशोधनकरिव छत्र भरौरनापूरोप्रदेशसं थम्न एक टावर ते संस्थामतिमोहिते दोष पांच मानानसात हायतचावहाय पायी जेवा

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