Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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पक्षेन्द्रिय एवं मति पजत्तपत्ति मन पर्यावा पर्याप्तस्य तदन्या मनोवधिमतोऽपि ममसो पमाव पवेति पर्यातयेत्यु । स प मधमादि मनोयोगोऽपि प्रादित्यार वायत्रोगिपति अपम्पमनोयोगवत सि पयो यो मनोयोग रति गम्यते अपम्यममीयोगसमानो यो न भवतीवर्ष मनोयोगप मनोद्रव्याणि नागपारपंति वषचमनोगंगाधोभामयतिखमेव दर्ययचार पसंखेनगुणपरितोति पस स्थात गुपिम परितोय स तथा त प्रपथमनोयोगपासच्य यभाममात्र मनोयोम मिहपहि तत समयानया मात्र या समवे२ तमिबन्धान सघ मनोयोग मिरुणचि पर।
पह सम केपुवामेवसविस्मपंघिदियस्म पजत्तगम वासनोगमा रेडा पसलेक गुणपरिहौण पढमनसगभोगनि रुभति तयाणतरषणं किंदियस्मपमत्तगरम मामलोगसकेका असखेजगुणपरिहोणं मितियंषड्जोग निरूभति
तयाणतर पर सुनमस्म पणगौवस्म चपज्जत्तगरम बहमगजोगमवापसंखेनगुणपरिहार्ण तश्यकायमोग , एसएमनोरनघटर प्रोषप्रमुपपपिसम मयिपोगभवमनसरितपद्रियगोत्र पर्याप्तिवारीपूरपोतानठ अघन्यथोडयोग मनमु ]
ब्यापारतवचोरठायोरपणे पसंखातगुपातियवीरपी एसमधमममममोमोगष्यापारधरस्पर तिवारपछीवनी पेंद्रियजीवपर्याप्ति ३ पिपर्याप्तानपो जवन्धयोपोरवधनयोगष्यापारतेवकोष्ठपोपमो पसंमातगुपवरोषष्ठीणपोवोरसपो पौववचनमब्योगव्यापार । रूपसंपरा तिवारपदो मुचनानु मोजिफरिधीन पर्याप्तिगि करोपर्वाधाम बघन्यसगीयबीमाउसायासपोयोगष्यापारतवीरठ
पोहोचपो पसंस्थातगुपवरीधर पोहोपपो तीबडयामागरीरमच्योमष्यापारतेषक परवर तावीवपणापूर्वोपरिमापार मरीमर परिम

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