Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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बत सभत्तातिर गतमापरि मय प्रसतमाह विच मछत मेमेगामागरमावसधिवेसेस मणुया वन्ति सपनामविरया बापटकम्मप गीपो पपरता सपिचोयमपणापा तोति शोबायप्रविष्ठानाप सन्तो वाहमा भवन्ति तयितु नाह तत्पसिहायतित्ति ते पो हिरषिरीपणा मनुथापाव सोमा निहितार्थ Y रित्वतेन स यत्न मन्यन्त यदुत रागादिवासना मुव चिवमेव मिरामय सदा पमियत देशमा सित रवभिधीयते यशा पर मचन्ते "गुणसवान्तरघानावितमतिक्रिया मुला सवप तिष्टन्ति प्योमवत्तापवबिता" तदर्गम निरस्त । पपोचते समरोरताया मपि सिहत्वप्रतिपादनाय यदुत "पणिमाघविध प्राप्चर्य वतिम सदा मोदी मिहवामान सीमा परमदुम्सर मिति वदपावरपाया पयरोरा पषियमानपत्रमवारपरोरासमा बौवषणभियोगनिरोपपासे रबपरपन विभागोमा वगाना सप्तो लोवषमा इति सपनारोवोत्तत्ति पान साचार दर्शन मनासारतयो कमेनोपमुखा ये ने तथा निस्यिक्ति निष्टिता समाप्तसमस्तमयो भना' मिरेय पति मिरजना नियस गौरपत्ति मौरजसो विचमानवरपिता मौरावा निर्गतीमच्या निम्पत्ति निभसा पूर्ववरयाम्म विनिमुना द्रम्य मानवजिता
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ते तापसिहायति सादौया अपज्जवसिया घसरोराजीवपणा देसयानापोवोत्तानियवानिरयणा नीरया
समो विचास बेतवापावायमदेशीवापबगामावरतेतसापरसपनेराफरसरमहोजाग्य जपोएजस पपोएबसमा पोकोगति नवराणां जान मामिवरीसरितवमोचिपार हनीपतिहासिहमाहिसिम्भतिर अपनपोतिहायचीगादिया पागसिफासितिहाधकी परिषपोनवो पहभपातानासनयो गौरवमररहित जीवघपाहापनंतवासि पनत दयनरपमधामकरीउपसमितहर

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