Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 407
________________ रता अयमाउसो णिग्ग थे पावयता पट्ट अयं परमठ्ठे से से श्रट्टे ऊसियफलिहा ववगुयदुवारा चित्त तेरपर घरदारप्पबेसा चउद्दसङ्घमुठ्ठिपुमानियोपड़िपुस पोस हंसम्म अणुपात प्ता समय विग्ग थे फास एमणिणं असस्यपायस्वात्मसाइमेष्यं षत्यपड़िग पायपु छोष घोष हमेस या पड़िहारएणय पौढफलहगसेज्नासथारएणं तवयत्री भ तिरूप प्रेममादिक राग करोन रंगाचा हा जिप व श्रीभगवतन भोभावठ कर्मसु बिभेदका पूछि बाजे धर्म संपवल पनवारवारहिबावको अतिशयस्तु पाम्याप पूया पक्षीमि निवयकवार अस्मिहाड पनर्मिहामहिमी अधातु विशेपते भगवंतना प्रागतिक हो (याजिनधर्मष्ठपात प्रतिपिता नम प्रवचनश्रीसिद्धांत जिनधर्ममार्ग व सारखे एकपरम उत्कटभोगार सितिमार्गवर शेपपुल फटिनोपरिंनिमंडियानामारमपि चाभोगत रक्षित अदुवारा उदारपणाधको पोषा सोमसि पापीता पाठनिपोषपूनम प्रमावनिकही चविष्य पकतिचितथा पृनिमविधियोमासा सबंधोनो तेहममिति ख गयपूषच वाहव वानकगमन सर्वथा महतवपूर आपहममुख पोवधपर्वदिनन घोष संव्यधम तौपुष्टिरूप सस्य गमवारितोचाररहित उपासना निर्दोषपर श्रमण तपखीनिग धवापर्यंतर परिग्रहरहित प्रावधित्सयम सहमादिक दोवरहित एडवच प्रशनमातषौ पोदन सासदूध वासिप्रमुख पांपोनोजाति पादिम भूपटल फाति यादिवसासार डावार पहनाते उरम विषपार का परम इविपर वियत्तप्रौतिन सकारणकर वारवारstभलिबाबnt गुरु पवि ग्राम अर्थपरिवावको विशेषमिव पौभा पर्व धारिवाद 4000

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