Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 424
________________ सावरजत्ति मन्यावारव्यवस्थापित प्रदेशान् सत्व कपाटलो भवतीति यावत् पार्टपरिसारत समममये बपाटाकारभार देयम रमाइलो भक्तो भ्रमयेदंड पश्चिमाचरन् सारिता सरये भवति यद्यपि संप्रत्येत्यनेन संरचयपूर्वक घरोर भवनस्य च मसाल्याता मन्दवच्या मतोयते तथाप्यस्यान श्रामेदोऽमित प्रयोरप्यरमसमयभावित्व मोत्यादिति नीम शुवइति प्रयोजनामामात् बाययोगचिन्तायां सप्तविष काययोम त पोरानिय सरोरकायत्रोर्गति योगोप्यापार गारप्यतीति वान विशेषितत्वात्काययोग' स चामेिवमेति चोदारिकमोरेच विशिवते तत्रोदार पुसापेचया स्वमेर्नित्तमिवोदारिष तच तच्चरति ममाप वाहरति सत्तमेसमएकवारं पठिसाहरति षट्ट मेसमड डिसावरति सारिता तपच्छासरीरत्य भवति संभ तहासमुग्वावगते किंमचजोगंबु अति नवयोगंबु जति कायजोगंज जति गोयमा योमनोगं प्रति नोषय जोगंशु जि अंतसमोपुरांच भोवे हम श्रमदेवराव पूरे भरे पांच महस मजे को सब मा त उते सर्व प्रतिय श्रीवमाप्रदेयते सर्वमाहापो चट्टरसमइम बाचामोपरे की बाविसायात चीन प्रदेयमथ घोसांवरेमाची पातमैवमेकमाउन परबोधाजीवपदेयते पतिमय सारेर भट्टमद्दवमधूपत्रिका कोषाविष्ठाबाने जीवम देवैस बसाइमा चीनकर तेसबंधाचसेश्वरोनद् शरीरमा डिसर्व पदेश मदोबत छ एचबी बीम ते भगवन समुहात कोबर पाल प्रदेशविस्तारवार मनन बोममममउब्यापार अविष्ठारोड बचन व्यापार बहुविकार चोर बाजार चापारमयु वधूमवत बहवोडर पत्रोमोतम मननकस्यापारमषु बहनोमनीवर बचन व्यापार म

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