Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
View full book text
________________
1
दिभिस्वापाररविरता रति कारपिारतबचतासपवधपरिविक्षेसापोत्ति छान मदिरादेरिव छेदविशेपवरण पिन वसादरिव मुबरादिमा एमग, तवन पर प्रतिक्षामासिवाय त्यादिभएन तामधपटादिहनन तासन वा गाडारादेवासर्वम मगन बधी मारण वन्धी रव्यादिना यम्म परियो पापोत्पादन सामवनोगोवरियत्ति सावजयोमा पीपषिका मायाप्रयोगनार कपाधम घयाइत्यर्थ उपकरफप्रयोजना का ये ते तवा सम्पतति बापागा' पापमान्तरे भावचा पोशियावतति पत्र पयोधिकाः पविद्यमाना वा पधिमा पनि एव सामान्य नोहाना मनुष्याणां । ___ एकवानोपयपपयावपात्रो असिविरया एकच्चायो कोहण पिट्टण तज्जण तालण षहवंघ परिफिलेसायो पडियि
रया भावनौवाए एफच्चामो अपशिविरया एकच्चायो गहाण महण वनग विश्लेषण सहफरिसरसरूवगधमलाल ___ फारापोपष्ठिविरया जावनीवाए एकच्चामोपपडिविरया मेयावणेतहप्पगारामावन जोणवपिया कम्मंता पर गयस पविरत निवत्तानयो एवेकपरमवसानी सानपरिवाषको उन्म नजगटप्पट पोपण वनगवामान पूरखु बरपट विपनगरमत्याग रादिक्षत गम्दवाविवादिबना परिससकमाणादिकरसवतादिवमा रुपाचवामादिक्षनागंधचीपादिकमामात्यसप्रकारपाभरणादियोपयकोपति गया विरतानियताछर बाषीवितासगर कसानादिवपदाधकीप्रतिमय पविरतानिवत्तानची जियोरपक्षीमनराइजेतयाप्रकारतर वापूर्वोवसावयसपापयोनम नवचनवावामसपश्चिच्चयामायाप्रयोगमकपायप्रत्यय एवाकमाण्यापार परप्रमेराप्राणजीवाएपरितापनावरण -भारवरीवनोपवावा तेववानियाईसकरपसारमधीपतिमयम विरतानिवत्ता एके कपापस निवत्तानपी तेजयमपमाधुनाउपासक
की
-
-

Page Navigation
1 ... 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466