Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

View full book text
Previous | Next

Page 403
________________ । रूपवारिचामह समुदाचारः सदाचार सममोदी वा चारो येषान्त अर्थसमुदावारा पतएप घमपपवित्तिसप्प मापत्ति धमें पेव पारिता । विरोधेन गुताविरोधेन वा उत्ति मोरिया वनमन्त गाणी विहरतोति योगः सुष्वयसि साता माभनधिसउत्तिवितरणा पा सुप्परियाटा। भाइरिति मुठ मचानन्द पित्तावादी येषान्त सुप्रथामन्दा साधुपु विषयभूनेषु पया साइरिति उतरवाये सम्बध्यते तसच साम्य' सशा मात् भापतित्व एगचापोपाहारवायायोसि एकमात्न सर्वस्मात् पाठान्तर एगमापोसि तव पकवएव पकविका तमादेकविसात वित्ति कप्पेमाणा मुसौला सुब्बया सप्पडियादा साहिति एकच्चायोपाणाातायोपसिविरया नावनौषाए F एकच्चा धोधपतिविरया एवंभावपरिग्गडातोर एकच्चायोकोहायो माया पो लोभापो पेजामो कलहामो धममेरागेरगापाई श्रुतघमचारिखरूपनविषेपामादसहित प्राचारवहनमो धर्मन चारितने वर्षापासवणुतनपाराध प्रतिपातीविकाको । बरई पछमस पोसौचपाचारहमा सहमानतद्रपन्ययापना सुपरिपापदा पासादामश्विवित्तपातु मविपना साधनास मीपवर्ती पवेबमाचीवनसमें दिवारिपनयोपतिपातापिवर ते पौषतिपय पिरम्याविरपा प्रांत्रीपोर ताबगो एवेशपरपरासघलेनकी प्रापी प्रौषपवियोपादिवापरतावनीपतिमय पिरतापोसयानको एपमोरएशोधरोमष शोनिपण्याकामोधरोसथकोनियानयो रेष - मानवोनिवारवनियानयो विषमायावोभिवच्याच शोभवौनिवाई एकैपपरागषीमिवाई एके वाचन वोमिवाद एकपभ्यायानभासतेयौनिवार एशनिवांनी परेपशूम्बचायवोनिया एयेवनियामवी एयरपरिवादपारपाचपवादयोनिया

Loading...

Page Navigation
1 ... 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466